KNEWS DESK – सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें सृष्टि के प्रथम शिल्पकार और निर्माणकर्ता के रूप में पूजा जाता है। हर साल कन्या संक्रांति के दिन, भगवान विश्वकर्मा की जयंती का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि व्यवसायिक और आर्थिक क्षेत्र में भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
विश्वकर्मा पूजा की सही तिथि और शुभ मुहूर्त
बता दें कि आज विश्वकर्मा पूजा मंगलवार, 17 सितंबर 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन विशेष रूप से रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। रवि योग सुबह 6:07 बजे से प्रारंभ होगा और दोपहर 1:53 बजे समाप्त होगा। यह समय अवधि पूजा के लिए आदर्श है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन भक्तगण भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। इस अवसर पर विशेष पूजा विधियों के तहत भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त मिठाई, फल, और अन्य वस्तुओं का भोग अर्पित करते हैं और गरीबों को दान भी देते हैं। पूजा के साथ-साथ कथा का पाठ करना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक पुण्य का साधन है, बल्कि व्यवसायिक सफलता की प्राप्ति में भी सहायक होता है।
विश्वकर्मा पूजा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल प्रकट हुआ। इस कमल से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तुदेव थे, जो धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उत्पन्न हुए सातवें पुत्र थे। वास्तुदेव की पत्नी का नाम अंगिरसी था, जिन्होंने ऋषि विश्वकर्मा को जन्म दिया। ऋषि विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य बने और उनके पास निर्माण और शिल्पकला का गहरा ज्ञान था।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने कई महत्वपूर्ण और दिव्य निर्माण किए। इनमें भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, इंद्र के व्रज और सोने की लंका शामिल हैं। ये सभी निर्माण उनके अद्भुत शिल्पकला और निर्माण कौशल को दर्शाते हैं।
विश्वकर्मा पूजा और कथा का महत्व
पूजा का समय: मंगलवार को रवि योग के दौरान पूजा करना विशेष महत्व रखता है। यह समय कारखानों, फैक्ट्रियों और दुकानों में पूजा करने के लिए उत्तम माना जाता है। औजारों और मशीनों की पूजा इस दिन की जाती है, क्योंकि इसे धार्मिक मान्यता के अनुसार, उनके संचालन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
औजारों की पूजा: इस दिन औजार से जुड़े काम करने वाले मजदूर और कामगार अपने औजारों की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, वे इन औजारों का उपयोग नहीं करते हैं, ताकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा बनी रहे।
तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग: तकनीकी और निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं, ताकि उनके कार्यों में सफलता और समृद्धि प्राप्त हो सके।
धार्मिक पुण्य: भगवान विश्वकर्मा की पूजा और कथा का पाठ धार्मिक पुण्य अर्जित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
सकारात्मक ऊर्जा: पूजा और कथा के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो कामकाजी जीवन में सुधार और समृद्धि लाती है।
आर्थिक और व्यवसायिक लाभ: भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यवसायिक क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होती है। कथा का पाठ करने से कार्यक्षेत्र में आ रही बाधाओं और समस्याओं का समाधान होता