KNEWS DESK – छठ महापर्व, जो हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट पर्व है, का आयोजन भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धूमधाम से होता है। यह पर्व खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करना होता है, ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और सेहत बनी रहे। इस पर्व की शुरुआत कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है, और इस दिन व्रति पूरे दिन उपवासी रहते हुए भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करते हैं। जानिए इस दिन की पूजा विधि, मुहूर्त और खरना के महत्व के बारे में।
खरना पूजा मुहूर्त (Kharna Puja Muhurat)
आपको बता दें कि 6 नवंबर 2024 को छठ का दूसरा दिन है, जिसे खरना कहते हैं। इस दिन व्रति अपने उपवासन को समाप्त करते हैं और पूजा विधि के अनुसार विशेष प्रसाद का भोग लगाते हैं। छठ पूजा के दूसरे दिन खरना की पूजा का समय महत्वपूर्ण होता है। पंचांग के अनुसार:
- सूर्योदय: सुबह 6:37 बजे
- सूर्यास्त: शाम 5:30 बजे
खरना पूजा को सूर्यास्त से पहले किया जाता है, ताकि भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का कार्य विधिपूर्वक किया जा सके। इस दिन का खास समय सुकर्मा योग का भी होता है, जो सुबह 10:59 तक रहेगा, इसके बाद धृति योग आरंभ होगा, जो पूजा के लिए और भी शुभ माना जाता है।
खरना पूजा विधि (Kharna Puja Vidhi)
- साफ-सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई करें और फिर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- सूर्य को अर्घ्य देना: सूर्यास्त से पहले, व्रति सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और फिर छठी मैया की पूजा करें। इस दौरान पारंपरिक तरीके से पूजा की जाती है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट किया जाता है।
- खीर का बनाना: पूजा के बाद, एक मिट्टी के चूल्हे पर चावल, गुड़ और दूध से खीर बनाएं। इस खीर को सबसे पहले छठी मैया को भोग के रूप में अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण: खीर का भोग छठी मैया को अर्पित करने के बाद, व्रति और उनके परिवार को यह प्रसाद वितरित करें। प्रसाद ग्रहण करने से व्रति का उपवास समाप्त होता है।
खरना के नियम (Kharna ke Niyam)
खरना पूजा के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक होता है:
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: इस दिन की पूजा में पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना होता है। खीर को पवित्रता से तैयार किया जाता है और यह जरूरी है कि प्रसाद को भी साफ-सुथरी स्थिति में ही तैयार किया जाए।
- मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग: खीर को पीतल के बर्तन में और मिट्टी के चूल्हे पर पकाना चाहिए, जो छठ पूजा की परंपराओं के अनुसार है।
- सोने का तरीका: इस दिन व्रति बिस्तर पर नहीं सोते। उन्हें जमीन पर चटाई बिछाकर सोने की परंपरा है।
- सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही कोई भी पदार्थ खाएं: सूर्य को अर्घ्य देने के बिना व्रति को कोई भी वस्तु ग्रहण करने की अनुमति नहीं होती।
खरना का महत्व (Kharna Significance)
खरना का दिन छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक माना जाता है। इसे शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। व्रति पूरे दिन का उपवास करके और सूर्योदय से सूर्यास्त तक कठिन साधना करते हैं। इस दिन खीर का भोग अर्पित करना और फिर प्रसाद लेना, व्रति को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करता है और यह उन्हें अगले 36 घंटे के निर्जला उपवास के लिए तैयार करता है।