होली मनाने की ये हैं अनसुनी कथाएँ

 KNEWS DESK- होली भारत का बहुत ही लोकप्रिय और हर्षोल्लास से परिपूर्ण त्यौहार है। लोग चन्दन और गुलाल से होली खेलते हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च माह के आरंभ में यह त्यौहार मनाया जाता है। लोगों का विश्वास है कि होली के चटक रंग ऊर्जा, जीवंतता और आनंद के सूचक हैं। होली की पूर्व संध्या पर भारत के कोने-कोने में होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं।

होली मनाने के पीछे है अनेक पौराणिक कथाएँ-

1-राधा और कृष्ण की कहानी
एक कथा के अनुसार रंग वाली होली खेलने का संबंध श्री कृष्ण और ब्रज की राधा रानी से है। धार्मिक मान्यता है कि श्री कृष्ण ने ग्वालों के संग मिलकर होली खेलने की प्रथा शुरू की थी। एक कहानी जो सुनाई जाती है, वो ये है कि श्री कृष्ण का रंग सांवला था और राधा रानी गोरी थीं तो कृष्ण अपनी मां यशोदा जी से अक्सर यही शिकायत किया करते थे। यशोदा जी ने कृष्ण से कहा कि जो तुम्हारा रंग है, उसी रंग को राधा के चेहरे पर भी लगा दो। इससे तुम्हारा और राधा का रंग एक जैसा हो जाएगा। कृष्ण ने अपनी मां के कहे अनुसार ग्वालों के साथ मिलकर रंग तैयार किए और ब्रज में राधा रानी को रंग लगाने पहुंच गए। तभी से रंगों वाली होली का चलन शुरू हो गया।

होली खेलते श्रीकृष्ण और राधा रानी (प्रतीकात्मक फोटो)

2-श्रीकृष्ण के हाथों पूतना के वध की कथा
होली पर कृष्ण और उनके मामा कंस से जुड़ी एक और कथा सुनाई जाती है। कंस नाम के राजा के लिए भविष्यवाणी हुई थी कि उसकी बहन का 8वां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इस भविष्यवाणी के बाद कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को जेल में कैद कर दिया था। कंस उनके नवजात बच्चों को मार दिया करता था, जब कंस को पता चला कि उसकी बहन देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र का जन्म हो गया है और वो गोकुल में है तब उसने गोकुल में जन्म लेने वाले हर शिशु की हत्या करने की योजना बनाई। इसके लिए उसने पूतना नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा और पूतना ने एक सामान्य महिला का रूप बनाया। वह शिशुओं को अपना दूध पिलाने के बहाने विष पिलाने लगी, लेकिन कृष्ण ने उसकी सच्चाई जान ली और पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि वो दिन फाल्गुन पूर्णिमा का था इसलिए पूतना के वध की खुशी में होली मनाई जाने लगी।

पूतना का वध करते श्रीकृष्ण (प्रतीकात्मक फोटो)

 

3- शिव पार्वती और कामदेव से जुड़ी कथा
एक कथा के अनुसार संसार की पहली होली भगवान शिव ने खेली थी। इसमें कामदेव और उनकी पत्नी रति भी थी। कथा के अनुसार जब भगवान शिव कैलाश पर ध्यान में लीन थे तब तारकासुर के वध के लिए कामदेव और रति ने शिव को ध्यान से जगाने के लिए नृत्य किया। रति और कामदेव के नृत्य से भगवान शिव का ध्यान भंग हुआ तो उन्होंने गुस्से में कामदेव को भस्म कर दिया। इसके बाद रति ने शिव से कामदेव को जीवित करने का आग्रह किया और वो मान गए। कामदेव दोबारा जीवित हो गए। इसी खुशी में रति और कामदेव ने भोज का आयोजन किया और इस भोज में सभी देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया। ये फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था। रति ने चंदन के टीके से खुशी मनाई। इस भोज में भगवान शिव ने डमरू बजाया तो भगवान विष्णु ने बांसुरी बजाई। पार्वती जी ने वीणा बजाई और सरस्वती जी ने गीत गाए। कहते हैं कि तभी से हर साल फाल्गुन पूर्णिमा पर गीत, संगीत और रंगों के साथ होली मनाई जाने लगी इसी तरह की एक और कथा सुनाई जाती है कि पार्वती भगवान शिव से शादी करना चाहती थीं, लेकिन शिव जी अपनी तपस्या में लीन थे इसलिए कामदेव पार्वती की मदद करने आए। उन्होंने पुष्प बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई इससे नाराज शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं तथा रति ने शिव जी से कामदेव को जीवित करने का अनुरोध किया। शिव जी ने कामदेव को जीवित कर दिया और इस खुशी में होली मनाई गई।

4-हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद की कथा
ये कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। राक्षसों का एक राजा हिरण्यकशिपु था। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानता था। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा बंद करा दी थी और वो अपनी पूजा कराता था, लेकिन हिरण्यकशिपु का बेटा प्रह्लाद विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को विष्णु को पूजने से रोकने की काफी कोशिश की, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति कम नहीं हुई। यहां तक कि हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को इसके लिए काफी यातनाएं दीं, उसे पहाड़ से नीचे गिराया, हाथी के पैरों से कुचलवाने की कोशिश की, लेकिन हर बार प्रह्लाद बच जाता। हिरण्यकशिपु की एक बहन थी- होलिका। होलिका को वरदान था कि वो आग में जलेगी नहीं, इसलिए हिरण्यकशिपु ने होलिका से कहा कि वो प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठा कर आग में प्रवेश कर जाए। होलिका ने ऐसा ही किया, लेकिन उस आग में होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया।

प्रहृलाद को गोद में बैठी पूतना (प्रतीकात्मक फोटो)

About Post Author