Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की आराधना, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र…

KNEWS DESK – नवरात्रि का महोत्सव शक्ति की साधना और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना का समय है। शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित है। मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी के रूप में पूजा जाता है और मान्यता है कि मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ही सृष्टि का आरंभ हुआ। जब चारों ओर अंधकार था, तब उन्होंने अपनी मुस्कान से अंधकार को मिटाकर सृष्टि में प्रकाश फैलाया। इस दिन की पूजा से सभी दुखों का नाश होता है और भक्तों को देवी की कृपा प्राप्त होती है।

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मां कूष्मांडा का स्वरूप

कूष्मांडा माता देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं, जिन्हें ‘ब्रह्मांड की रचनाकार’ माना जाता है। उनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। उनके आठ हाथ होते हैं, जिनमें वह कमल, अमृत कलश, धनुष-बाण, चक्र, गदा और जप माला धारण करती हैं। कूष्मांडा माता का वाहन सिंह है, जो शक्ति का प्रतीक है। उनकी आराधना से भक्तों को ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह स्वरूप आंतरिक शक्ति और सकारात्मकता प्रदान करता है, जिससे जीवन में आशा और उल्लास बना रहता है। नवरात्रि के इस दिन, कूष्मांडा माता की पूजा करके उनके अनुकंपा का लाभ लेना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भक्तों को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति और साहस देता है। कुम्हड़े की बलि उन्हें प्रिय है, और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्माण्डा कहा जाता है।

Navaratra 2020 foruth day dedicated to maa kushmanda pooja vidhi and mantra

मां कूष्मांडा की पूजा के लाभ

मां कूष्मांडा की सच्चे दिल से की गई पूजा से भक्त के सभी रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को यश, बल, और धन की प्राप्ति होती है। यह पूजा जीवन में अंधकार को दूर करती है और विद्यार्थियों को बुद्धि और विवेक में वृद्धि देती है। इसके साथ ही, भक्त की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। उनकी पूजा में हरे और नीले रंग का प्रयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये रंग उन्हें प्रिय हैं।

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पूजा विधि

  1. स्नान और वस्त्र: सूर्योदय से पहले स्नान करें और हरे या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  2. कलश पूजन: पहले कलश की पूजा करें और उसे तिलक करें।
  3. स्नान: मां कूष्मांडा को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें हरे रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप: मां का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करें।
  5. अर्पण: मां को लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, और सुखे मेवे अर्पित करें।
  6. आरती: अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
  7. मां कूष्मांडा को लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल या लाल गुलाब अर्पित करें। इससे देवी प्रसन्न होती हैं।

मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जप करें:

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा का भोग

मां कूष्मांडा को पेठा (कुम्हड़ा), दही, और हलवे का भोग अर्पित करें। ये चीजें उन्हें बहुत प्रिय हैं। इस भोग को स्वयं ग्रहण करने के साथ-साथ ब्राह्मणों को भी दान करना चाहिए।

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