शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी करती हैं धरती पर भ्रमण, आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें, पूजाविधि और मान्‍यताएं….

KNEWS DESK – शरद पूर्णिमा, जिसे आश्विन मास की पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह दिन मां लक्ष्मी की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। इस साल, शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को है, जब लोग रातभर पूजा-अर्चना और भजन कीर्तन में लीन रहेंगे।

शरद पूर्णिमा की तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 8:45 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर को शाम 4:50 बजे समाप्त होगी। इस दिन चंद्रोदय शाम 5:10 बजे होगा, और इस समय चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का विशेष महत्व है।

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शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि उनका प्राकट्य इसी दिन हुआ था। इसे “कोजागरी पूर्णिमा” भी कहते हैं, इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “क्या तुम जाग रहे हो?”। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। यह दिन विशेष रूप से रात में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने के लिए जाना जाता है, जिससे अमृत की वर्षा होती है और भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।

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शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान: सुबह उठकर स्नान करें और अपने घर के मंदिर को स्वच्छ करें।
  2. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा: लाल या पीले कपड़े पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। उनके सामने घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
  3. खीर का भोग: गाय के दूध से बनी खीर तैयार करें और इसे पूजा के दौरान भोग के रूप में अर्पित करें।
  4. दीयों की व्यवस्था: चंद्रमा निकलने पर मिट्टी के 100 दीए गाय के शुद्ध घी से जलाएं।
  5. चांद की रोशनी में खीर रखना: खीर को मिट्टी के बर्तन में भरकर चांद की रोशनी में रख दें और पूरी रात जागकर भक्ति में लीन रहें।
  6. धार्मिक ग्रंथों का पाठ: इस रात विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीसूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
  7. प्रसाद वितरण: अगली सुबह खीर को मां लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर इसे परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में बांटें।

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मान्यताएं और प्रभाव

मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है। इस प्रकार, शरद पूर्णिमा एक विशेष अवसर है जब भक्त अपनी श्रद्धा से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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