Janmashtami 2024: घर पर विधि विधान के साथ कैसे करें जन्माष्टमी की पूजा, जानें सरल विधि और मंत्र…

KNEWS DESK – आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में समर्पित है और घरों व मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। जन्माष्टमी के अवसर पर घर पर विधि विधान से पूजा करने का विशेष महत्व है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि घर पर कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें, साथ ही सरल विधि और मंत्रों के साथ।

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जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष संयोग बन रहा है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष लग्न और विभिन्न योगों के साथ भगवान कृष्ण का जन्म होगा। पूजा के लिए रात 12:01 मिनट से 12:45 तक का समय अति शुभ माना गया है। इस दिन योगमाया का भी जन्म हुआ था, इसलिए यह दिन विशेष महत्व रखता है।

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घर पर पूजा की विधि

  1. स्नान और व्रत का संकल्प:

    ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।भगवान कृष्ण को नमस्कार कर व्रत का संकल्प लें। संकल्प के लिए हाथ में जल, फल, कुश और गंध लें और “ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥” मंत्र का जाप करें।

  2. बाल कृष्ण की पूजा:

    बाल गोपाल की पूजा करें। स्नान कर पूरब या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।बाल गोपाल को एक चौकी पर लाल रंग के आसन पर विराजित करें। उन्हें पीताम्बर वस्त्र पहनाएं और शृंगार करें।

  3. पूजा सामग्री की तैयारी:

    दोपहर में काले तिल के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए सूतिकागृह नियत करें। नारियल के खीरे को बीच से चीरकर उसमें लड्डू गोपाल को बैठा दें।

  4. रात्रि पूजन:

    रात 12 बजे शुभ मुहूर्त में बाल कृष्ण को खीरे से निकालकर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, गंगा जल) से स्नान कराएं।देवकी, वसुदेव, नंद, यशोदा, बलदेव और माता लक्ष्मी का नाम लेते रहें।

  5. मंत्र जाप और पूजा:

    भगवान कृष्ण को यज्ञोपवीत पहनाकर, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप से पूजा करें। झूला में रखकर उन्हें झूलाएं। मंत्र जाप करते रहें: “प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः, वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।”

  6. भोग अर्पण:

    भगवान को मक्खन, मिश्री, पंजीरी, फल और मेवे से बनाए पकवान अर्पित करें। नैवेद्य में तुलसी दल का होना आवश्यक है। लौंग, इलायची, पान भी अर्पित करें।

  7. भजन और कीर्तन:

    पूजा के बाद कृष्ण के मंत्रों का जाप या स्त्रोत का पाठ करें। अंत में क्षमा-प्रार्थना करें, प्रसाद वितरण करें और भजन-कीर्तन करते हुए रतजगा करें।

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, और इस दिन विशेष पूजा विधि से भक्ति भाव प्रकट करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस पवित्र अवसर पर विधिपूर्वक पूजा करके आप भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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