KNEWS DESK- आज पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम चल रही है| यह पर्व भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में मनाया जाता है| आज कृष्ण जी के जन्म उत्सव पर चलिए आपको उनके जन्म से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं|
एक बार कृष्ण के जन्म दिन पर काफी तैयारियां की गईं| लोग बड़ी संख्या में श्रीकृष्ण के महल में इकट्ठा हुए लेकिन श्रीकृष्ण इस उत्सव में शायद शामिल नहीं होना चाहते थे| वैसे तो वो हर उत्सव के लिए तैयार होते थे पर इस दिन किसी वजह से उनकी इच्छा नहीं थी| जिसके बाद रुक्मिणी श्रीकृष्ण के पास आईं और उन्होंने पुछा, नाथ, आपको क्या हो गया है? क्या बात है? आप उत्सव में शामिल क्यों नहीं हो रहे? कृष्ण बोले, मेरे सिर में दर्द है|
उनको वास्तव में सिरदर्द था या नहीं, ये तो नहीं पता लेकिन उन्होंने रुक्मिणी से कहा ऐसा कोई जो मुझे वाकई में प्यार करता हो, वो अपने पैरों की धूल अगर मेरे सिर पर मल दे तो मैं ठीक हो जाऊंगा| इसपर रुक्मिणी बोलीं, हमें वैद्यों को बुलाना चाहिए| इसके बाद वैद्य आए| उन्होंने श्रीकृष्ण को हर तरह की दवाईयां दीं लेकिन कृष्ण बोले, नहीं, ये सब चीजें मुझ पर असर नहीं करेंगीं| लोगों ने पूछा, तो हमें क्या करना चाहिए?| वहां काफी ज्यादा लोग इकट्ठा हो गए थे| सत्यभामा, नारद जी, हर कोई परेशान था कि आखिर कृष्ण को क्या हुआ है|
कृष्ण बोले, कोई, जो मुझे वाकई में प्यार करता हो, वो अपने पैरों की धूल अगर मेरे सिर पर मल दे तो मैं ठीक हो जाऊंगा| श्रीकृष्ण की ये बात सुनकर सत्यभामा बोलीं, ये क्या बात हुई? मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं पर ये नहीं हो सकता कि मैं अपने पैरों की धूल ले कर आपके सिर पर लगाऊं| हम ऐसा काम नहीं कर सकते| फिर रुक्मिणी रोते हुए बोलीं, हम ऐसा कैसे कर सकते हैं| ये तो आपका अनादर होगा, अपमान होगा| हम ये नहीं कर सकते| नारद भी पीछे हट गए| उन्होंने कहा, मैं ऐसा कुछ भी करना नहीं चाहता| आप स्वयं भगवान हैं| मुझे नहीं मालूम कि इसमें क्या रहस्य है| अगर मैं अपने पैरों की धूल आपके सिर पर रखूंगा तो हमेशा नर्क की आग में जलूंगा| मैं ऐसा कोई काम करना नहीं चाहता|
इसके बाद ये बात हर तरफ फ़ैल गई|सभी लोग हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है| हम सब कृष्ण को बहुत प्यार करते हैं पर ऐसा कर के हम नर्क में जाना नहीं चाहते| सभी लोग जश्न मनाने के लिए कृष्ण का इंतजार कर रहे थे पर कृष्ण अपना सिरदर्द ले कर बैठे थे| जब ये बात वृन्दावन तक जा पहुंची| गोपियों को पता लगा कि कृष्ण को सिरदर्द है| इसके बाद राधा ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर जमीन पर बिछा दिया और सब गोपियां उस पर नाचने लगीं|
फिर राधा ने वो पल्लू नारद को दे कर कहा, इसे ले जाइए और कृष्ण के सिर पर बांध दीजिए| नारद वो धूल भरा पल्लू लाए और उसे कृष्ण के सिर पर बांध दिया| इसके बाद कृष्ण का सिर दर्द एकदम ठीक हो गया| कृष्ण ने हमेशा कहा है कि उनके लिए भक्तों का सच्चा प्रेम ही सबसे कीमती चीज है| वे राजा थे और कई राजाओं ने उन्हें अपने राज्य भेंट किए पर उन्होंने स्वीकार नहीं किए| कृष्ण के लिए सच्चा, निस्वार्थ और सरल प्रेम ही बहुत जरुरी था|