KNEWS DESK – धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ यमराज की भी पूजा की जाती है। विशेष रूप से, इस दिन दीपदान करने की परंपरा का बहुत महत्व है। आइए जानते हैं धनतेरस पर दीपदान क्यों किया जाता है और इसके लाभ क्या हैं।
दीपदान का महत्व
धनतेरस के दिन दीपदान करने की परंपरा एक प्राचीन धार्मिक मान्यता से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि यमराज ने कहा था कि जो भी इस दिन उनके नाम पर दीपदान करेगा, वह और उसका परिवार अकाल मृत्यु से सुरक्षित रहेगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि वे प्रतिदिन कितने लोगों की आत्मा ले जाते हैं, क्या कभी किसी पर दया नहीं आती। एक यमदूत ने बताया कि एक हेम नाम का राजकुमार था, जिसकी शादी के चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। यमराज ने इस पर कहा कि यदि कोई धनतेरस की शाम को दीपदान करे, तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता है। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।
धनतेरस पर दीपदान के लाभ
अकाल मृत्यु से सुरक्षा: दीपदान करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
खुशहाली का आगमन: इस दिन दीपदान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
आरोग्य और सौभाग्य: दीपदान से स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
दीपदान का समय
धनतेरस पर दीपदान का कार्य प्रदोष काल में किया जाता है। इस साल, प्रदोष काल 29 अक्टूबर को शाम 5:38 बजे से शुरू होगा और 6:55 बजे तक चलेगा। इस दौरान दीपदान करने के लिए 1 घंटे 17 मिनट का समय मिलेगा।
दीपदान की विधि
दीपक तैयार करें: मिट्टी का एक बड़ा दीपक लें। इसमें दो बड़ी बत्तियाँ लगाएं।
सामग्री का उपयोग: दीपक में तिल का तेल और काले तिल डालें। फिर, रोली, चावल और फूलों को अर्पित करें।
दिशा का ध्यान रखें: दीपक को दक्षिण दिशा की ओर जलाकर रखें।
दीपदान करते समय निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतामिति॥