KNEWS DESK – छठ पूजा, जिसे खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है, दीपावली के बाद का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होकर सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। इस बार छठ पूजा 5 नवंबर 2024 से शुरू होकर 8 नवंबर 2024 तक चलेगी।
छठ पूजा का ऐतिहासिक महत्व
बता दें कि छठ पूजा की उत्पत्ति की कथा त्रेता युग से जुड़ी है। मान्यता है कि माता सीता ने सबसे पहले यह व्रत रखा था। जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो उन्होंने रावण के वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। माता सीता ने ऋषि के आश्रम में छह दिनों तक सूर्य देव की पूजा की और सप्तमी के दिन उनके आशीर्वाद से इस पूजा की परंपरा का आरंभ हुआ।
कर्ण और द्रौपदी का योगदान
महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख मिलता है। भगवान सूर्य के पुत्र कर्ण ने सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा स्थापित की। वे अपने राज्य में घंटों जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे। वहीं, द्रौपदी ने भी पांडवों के संकट के समय सूर्य षष्ठी पूजन किया, जिससे उन्हें उनका राजपाट वापस मिला।
कठिनाईयों से भरा पर्व
छठ पूजा एक कठिन पर्व है, जिसमें व्रती को 72 घंटे तक निर्जला उपवास रहना होता है। ठंड के मौसम में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए ठंडे पानी में घंटों खड़ा रहना भी व्रति के लिए एक चुनौती है। यह पर्व आत्म-शुद्धि और समर्पण की भावना को दर्शाता है, जहां हर एक नियम का पालन अनिवार्य है।
छठ पूजा 2024 के महत्वपूर्ण दिन
- नहाय-खाय: 5 नवंबर 2024 (इस दिन पर्व की शुरुआत होती है)
- खरना: 6 नवंबर 2024 (इस दिन निर्जला व्रत के बाद प्रसाद का वितरण)
- संध्या सूर्य अर्घ्य: 7 नवंबर 2024 (शाम को सूर्य को पहला अर्घ्य)
- प्रातः सूर्य अर्घ्य और पारण: 8 नवंबर 2024 (सूर्य को दूसरा अर्घ्य और व्रत का समापन)
छठ पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक सामाजिक उत्सव भी है, जो परिवारों और समुदायों को एकत्र करता है। यह पर्व प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक है, और इसमें शामिल होने वाले सभी लोग अपने परिवार की खुशी, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।