KNEWS DESK – हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है| इस दिन षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा का विधान है| इसलिए इस पर्व को ‘सूर्य षष्ठी’ के नाम से भी पुकारा गया है| ये पर्व चार दिन तक चलता है| छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 17 नवंबर से हो रही है। पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है। इसमें व्रती स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके पश्चात, भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में चावल, दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती हैं। आपको बताते हैं कि किन बातों का ध्यान रखना चाहिए|
नहाय खाय पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- आज छठ महापर्व का पहला दिन है। इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है।आज के दिन व्रती महिलाएं या पुरुष प्रात:काल उठकर स्नान करते हैं। साथ ही साफ या नए वस्त्र धारण करते हैं।
- व्रती इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हैं।
- जल अर्पित करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती है।
- नहाय खाय के दिन खाना बिना प्याज और लहसुन के बनाना होता है। यह आज का प्रसाद होता है।
- इस प्रसाद में कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात यानी चावल खाने की परंपरा होती है।
- आज यानि नहाय खाय के दिन जो खाना बनता है उसे सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाएं व पुरुष को परोसा जाता। इसके बाद ही परिवार के लोग इसे ग्रहण करते हैं।
- इस दिन परिवार के सभी लोग को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
नहाय खाय के दिन दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा कई अन्य अद्भुत संयोग भी बन रहे हैं। इन संयोग में सूर्य देव की उपासना करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। तो यहां जानिए शुभ मुहूर्त, पंचांग और योग।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सुबह 11 बजकर 03 मिनट तक है। इसके पश्चात, पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है।
करण योग
नहाय खाय के दिन 11 बजकर 03 मिनट से बव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष बव करण को शुभ मानते हैं। इस कारण में शुभ कार्य किये जाते हैं। साथ ही बव करण में आराध्य देव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
भद्रावास योग
नहाय खाय के दिन वर्षों बाद भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पूजा करने से व्रती को कई गुना फल प्राप्त होगा। ज्योतिषियों की मानें तो भद्रावास योग में समस्त भूमंडल का कल्याण होता है। इस समय में भद्रा पाताल लोक में निवास करती हैं। इस समय में सूर्य देव की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।