यूपी: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में बैंकों ने लोन रिकवरी का आदेश किया स्थगित, अखिलेश यादव ने भाजपा पर साधा निशाना

KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पुरानी मेरिट लिस्ट को रद्द करके नई मेरिट लिस्ट तैयार करने के आदेश के बाद बैंकों ने भर्ती हुए शिक्षकों से लोन की वसूली का आदेश जारी किया था। हालांकि, चार दिन बाद इस आदेश को निरस्त कर दिया गया है। इस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है।

लोन रिकवरी आदेश स्थगित

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद, बांदा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से लोन की वसूली का आदेश जारी किया था, साथ ही किसी भी नए लोन की सुविधा भी रोक दी गई थी। लेकिन, सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव के चलते, सरकार को यह आदेश स्थगित करना पड़ा। अखिलेश यादव ने इसे भाजपा सरकार की ‘नाइंसाफी’ का एक और उदाहरण बताया और कहा कि यह स्थगन युवा-शक्ति की एकता की जीत है, न कि भाजपा की सहानुभूति का कोई संकेत।

अखिलेश यादव का बयान

अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर कोर्ट के आदेश के बाद, बांदा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक ने शिक्षकों के लोन की वसूली का आदेश जारी किया और नए लोन की प्रक्रिया भी बंद कर दी। लेकिन युवाओं के आक्रोश के आगे यह आदेश एक दिन भी टिक नहीं पाया। भाजपा सरकार को इसे स्थगित करना पड़ा। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा सरकार इसे पूरी तरह से रद्द नहीं कर रही, बल्कि यह दबाव में आकर किया गया कदम है।

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार ने जिन शिक्षकों को नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर लोन दिया था, अब उनके घरों और सामानों को जब्त करने की साजिश कर रही है। यह शर्मनाक है कि भाजपा परिवारों को दुख देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है।

शिक्षकों पर मानसिक और सामाजिक दबाव

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों से शिक्षक मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की नीतियों से पहले से ही नौकरी खोने के डर में डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा। लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाने से उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचेगी। इससे शिक्षक की शिक्षा देने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे बच्चों की शिक्षा और भविष्य भी प्रभावित होगा।

अखिलेश यादव ने चिंता व्यक्त की कि जिन शिक्षकों ने चार साल से नौकरी की है और इस भर्ती परीक्षा में मेरिट में जगह पाई है, उनके भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। नई मेरिट लिस्ट तीन महीने में जारी की जाएगी, लेकिन इस दौरान इन शिक्षकों की स्थिति क्या होगी, यह अभी भी एक बड़ा सवाल है।

भर्ती हुए अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की मांग को लेकर मंगलवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) का घेराव किया और नई मेरिट लिस्ट की जल्दी जारी करने की अपील की। इस आंदोलन के जरिए उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय की मांग की है। इस पूरे घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया को एक नई दिशा दी है और इसके परिणाम अब आगे की कानूनी और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करेंगे।

ये भी पढ़ें-  किसी भी पूजा के अंत में आरती करना क्यों है जरूरी ? जानें महत्व और इसके उद्देश्य

About Post Author