KNEWS DESK – केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने के दो मौके मिलेंगे। यह नया नियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप लागू किया जा रहा है, जिससे छात्रों को परीक्षा का दबाव कम करने और बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा।
कैसे होगा परीक्षा का आयोजन?
CBSE के मसौदा नियमों के अनुसार, 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी| पहला सेशन: 17 फरवरी से 6 मार्च तक और दूसरा सेशन: 5 मई से 20 मई तक होगा| छात्रों को इन दोनों में से किसी एक परीक्षा में बैठने या फिर दोनों में शामिल होने का विकल्प मिलेगा।
छात्रों को क्या होगा फायदा?
छात्र पहली परीक्षा देने के बाद यदि अपने अंकों से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो वे दूसरी परीक्षा में फिर से शामिल हो सकते हैं। अंतिम स्कोर कार्ड में दोनों परीक्षाओं में से सर्वश्रेष्ठ अंक दर्ज किए जाएंगे। साथ ही साल में दो बार परीक्षा होने से छात्रों पर एक बार में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव कम होगा। यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, तो उसे सुधार का मौका मिलेगा। यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में कुछ विषयों में अच्छा स्कोर कर लेता है, तो वह दूसरी परीक्षा में केवल उन्हीं विषयों के लिए बैठ सकता है जिनमें उसे सुधार करना है। इससे छात्रों को बार-बार सभी विषयों की तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सितंबर 2025 तक छात्रों को यह तय करना होगा कि वे पहली परीक्षा, दूसरी परीक्षा या फिर दोनों में शामिल होंगे। दोनों परीक्षाओं के लिए समान परीक्षा केंद्र तय किए जाएंगे और परीक्षा शुल्क रजिस्ट्रेशन के समय ही लिया जाएगा।
रिजल्ट और पासिंग डॉक्यूमेंट का सिस्टम
- पहली परीक्षा के नतीजे 20 अप्रैल तक घोषित किए जाएंगे और डिजीलॉकर पर उपलब्ध होंगे।
- यदि कोई छात्र पहली परीक्षा के बाद ही 11वीं कक्षा में दाखिला लेना चाहता है, तो वह इसका उपयोग कर सकता है।
- लेकिन पासिंग डॉक्यूमेंट और फाइनल रिजल्ट केवल दूसरी परीक्षा के बाद जारी किए जाएंगे।
9 मार्च तक दे सकते हैं सुझाव
CBSE ने इस नए परीक्षा पैटर्न पर 9 मार्च 2025 तक सुझाव मांगे हैं। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। बोर्ड का कहना है कि वे 2025 तक इस योजना को पूरी तरह लागू कर देंगे, ताकि नए सत्र 2026 में छात्रों को इसका लाभ मिल सके।