चंडीगढ़ : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भगोड़े खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के संगठन ‘वारिस दे पंजाब’ पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम UAPA के कड़े प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित करने की तैयारी कर दी है.इसी बीच खालिस्तानी समर्थक अमृत पाल को पकड़ने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने एक खाखा तैयार कर रही है.वहीं एक मीडिया रिपोर्ट में एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के हवाले से कहा गया कि एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए हमें निर्णय लेने वाले प्राधिकरण के समक्ष उसे पकड़ने के लिए दस्तावेजी सबूत की जरुरत है,इसके लिए फुलप्रूफ डोजियर की आवश्यकता होती है.
वहीं असम के डिबरुगढ़ की जेल में हुए बंद एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुताबिक खुफिया एजेंसिया अमृतपाल के साथियों को उत्तर-पूर्व व दक्षिणी राज्यों की जेलों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है.ताकि पंजाब में किसी की भी रिहाई के लिए अजनाला जैसी घटना को अंजाम न दिया जा सके,जहां से थाने पर हमला बोल कर खालिस्तान के समर्थक को छुड़ा ले गए थे.
बताया जा रहा है कि इस मामले में गृह मंत्रालय की एक सयुंक्त बैठक में निर्णय लिया गया.सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि तथ्य यह है कि अमृतपाल और उसके समर्थकों के खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा केंद्रीय बलों व एजेंसी की सहायता व सूचना के आधार पर कार्रवाई की जा रही थी.अब तक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी ने जो तथ्य इकट्ठा किए है जो इस तथ्य को स्थापित करती है कि लोग अमृतपाल के गुप्त मंशा जाने बिना ही धर्म के नाम पर आंखे बंद करके विश्वास कर रहे थे.
वहीं खुफिया एजेंसी ने जो आपराधिक रिकॉर्ड की फाइल तैयार की है उसके अनुसार वह पूरे पंजाब को दहशत से दहला देने वाला था.खुफिया एजेंसियां के हवाले से अफसरों का कहना है कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह हथियार जमा करके युवाओं को आत्मघाती हमले करने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों और गुरुद्वारों का इस्तेमाल कर रहा था.