आतंक का पर्याय बने कुख्यात बदमाश राहुल खट्टा के मकान पर चला बुलडोजर

बागपत-  बागपत के खट्टा प्रह्लादपुर गांव की बाल्मीकि बस्ती में आज योगी सरकार का बुलडोजर फिर आतंक के एक काले अध्याय को नेस्तनाबूद करता नज़र आया। करीब 280 वर्ग मीटर में फैली अवैध संपत्ति, जो ढाई लाख के इनामी बदमाश राहुल खट्टा के परिवार के कब्जे में थी, उसे तहसीलदार न्यायिक मोनिका यादव की निगरानी और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बुलडोजर से पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। एक दौर था जब राहुल खट्टा का नाम यूपी, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड की जुबान पर खौफ बनकर गूंजता था, लेकिन 2015 में सहारनपुर मे हुए एक एनकाउंटर में उसका अपराध भरा अध्याय हमेशा के लिए बंद हो गया। फिर भी योगी सरकार का एक्शन मोड में रहना यह बताता है कि, अपराधी मर सकता है, पर उसका अवैध कब्जा नहीं बचेगा। राहुल खट्टा की मां क्षमा देवी मौजूदा ग्राम प्रधान हैं और आरोप है कि उसी वक्त से तालाब की जमीन पर परिवार ने अवैध रूप से मकान खड़ा कर लिया था। वहीं एडीएम बागपत पंकज वर्मा के मुताबिक सरकारी तालाब पर कब्जा किया गया था, जिसके चलते कार्रवाई की गई।

पश्चिमी यूपी में था खौफ का पर्याय

पश्चिमी यूपी में 90 के दशक में कई गैंगस्टर हुए जिन्होंने अपना दबदबा बनाकर रखा। लेकिन नई पीढ़ी के बदमाशों ने अपराध के स्तर को नए तरीके से खड़ा किया। रंगदारी, अपहरण और लूट जैसी वारदातों को अत्याधुनिक हथियारों के दम पर अंजाम देना गैंगस्टर्स क शगल बन गया। इन सबके बीच एक नाम राहुल खट्टा का भी था। बागपत के खट्टा प्रह्लादपुर से निकले राहुल खट्टा ने पश्चिमी यूपी में अपना खौफ बनाया। राहुल खट्टा कभी गांव में मंदिर के सामने या भीड़भाड़ वाली बाजारों में झपटमारी करता था। कई बार पकड़ा भी गया लेकिन जुर्म की ऐसी लत लगी कि वह पश्चिमी यूपी का डॉन बनने की हसरत पाल बैठा। छोटे-मोटे अपराधियों को जुटाया और एक गैंग बना लिया। गांव से शुरू हुए अपराध ने पहले जिले में आतंक मचाया फिर पश्चिमी यूपी में सरगना बना दिया। साल 2007 में राहुल खट्टा ने गैंग के सहारे बाइक चोरी का काम शुरू किया। फिर एक बार पुलिस ने दबोचा तो जेल गया। कुछ दिनों बाद जेल से बाहर आया तो अपराधियों के साथ-साथ पुलिस वालों से भी नजदीकी बढ़ी। फिर राहुल खट्टा दूसरे अपराधियों के मुखबिरी करने लगा।

ढाई लाख का इनामी राहुल खट्टा

राहुल खट्टा पुलिस के लिए मुखबिरी ऐसे ही नहीं कर रहा था। वह चाहता था कि जब दूसरा गैंग खत्म होगा तो खुद को बड़ा बनाएगा। इसके अलावा वह पुलिस के काम करने के तरीके से भी वाकिफ होता गया। जिसका उसने अंत के कुछ सालों में खूब फायदा भी उठाया। इसी बीच साल 2009 में उसने एक ठेकेदार से लूटपाट की, जिसने राहुल खट्टा का नाम बड़ा कर दिया। इसके बाद साल 2013 में राहुल खट्टा ने बालौनी हिंडन पुल के पास पशु कारोबारी से करीब 14 लाख रूपये लूट लिए। इस घटना ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया। लूट के साथ उसने इसी साल एक और ठेकेदार को निशाना बनाया। जिसे उसने गोलियों से भून दिया। फिर उस पर अपने ही गांव के पूर्व प्रधान की हत्या का भी आरोप लगा। राहुल खट्टा ने साल 2013 के बाद खुद को रंगदारी और अपहरण की तरफ केंद्रित किया।

साल 2013 से लेकर 2015 तक उसने कई बड़े व्यापारियों को अगवा किया। सरेआम अंजाम दी गई घटनाओं ने राहुल का आतंक बढ़ा दिया। पुलिस के मुताबिक वह पश्चिमी यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में भी वारदातों में शामिल रहा। माना जाता है वह अमित भूरा और मुकीम काला के साथ कई वारदातों में साथ रहा। कहा जाता है राहुल खट्टा का मुखबिर तंत्र इतना सक्रिय था कि उसे पुलिस की हर छापेमारी की खबर पहले ही पड़ जाती थी। लेकिन साल 2015 में राहुल खट्टा को सहारनपुर पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था, जिसमें कई अत्याधुनिक हथियार भी बरामद हुए थे