KNEWS DESK- आईपीएल 2025 में टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का एक बयान चर्चा का विषय बन गया है। अश्विन, जो अपनी शानदार गेंदबाजी के लिए जाने जाते हैं, ने क्रिकेट के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में एक अहम पहलू उठाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से टी20 क्रिकेट और खासकर आईपीएल में बल्लेबाजों का प्रदर्शन बढ़ा है, उसके कारण गेंदबाजों को जल्द ही एक पर्सनल साइकॉलोजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) की जरूरत पड़ सकती है।
आईपीएल 2025 में बेशक बल्लेबाजों के लिए हर सीजन की तरह एक और धमाकेदार शुरुआत हुई है। पिछले कुछ सीज़न में जैसे बल्लेबाजों के बड़े स्कोर ने क्रिकेट को एक नया दृष्टिकोण दिया है, उसी तरह इस सीजन में भी कुछ टीमों ने अपने आक्रामक बल्लेबाजी के प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया। सनराइजर्स हैदराबाद ने इस सीजन के शुरुआती मैचों में 286 रन बनाए हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि अब कौन सी टीम सबसे पहले 300 रन का आंकड़ा छुएगी। इससे साफ है कि टी20 क्रिकेट में बल्लेबाजों का दबाव बढ़ता जा रहा है, और गेंदबाजों के लिए इस चुनौती का सामना करना और भी कठिन हो गया है।
अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस पर चर्चा करते हुए कहा कि इस बदलते परिदृश्य में गेंदबाजों को मानसिक दबाव से जूझने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद की जरूरत पड़ सकती है। उनका कहना था, “मैं इस बारे में बोलना चाहता हूं कि जल्द ही गेंदबाजों को पर्सनल मनोवैज्ञानिक की जरूरत पड़ेगी। मुझे सच में ऐसा लगता है। लोग कह रहे हैं कि गेंदबाज डिफेंसिव हो गए हैं। इस तर्क को मान लेते हैं, लेकिन कुछ मौकों पर बॉलिंग एकदम असंभव हो गई है।”
अश्विन का यह बयान टी20 क्रिकेट में गेंदबाजों के मानसिक दबाव और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को उजागर करता है। पिछले कुछ सालों में बल्लेबाजों की आक्रामकता में भारी इजाफा हुआ है, जिससे गेंदबाजों के लिए मैचों में अपनी पकड़ बनाए रखना और भी मुश्किल हो गया है।
टी20 क्रिकेट में तेज और आक्रामक बल्लेबाजी की बढ़ती प्रवृत्ति ने गेंदबाजों के लिए बेहद मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं। बड़े स्कोर बनाने की होड़ ने गेंदबाजों को मानसिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण स्थितियों में डाल दिया है। वहीं, अश्विन ने यह भी कहा कि कई बार ऐसा महसूस होता है कि गेंदबाजी पूरी तरह से असंभव हो गई है, खासकर तब जब बल्लेबाज हर गेंद पर बड़े शॉट्स खेलने की कोशिश कर रहे होते हैं।
अश्विन के इस बयान ने गेंदबाजों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक नई बहस शुरू कर दी है। अगर स्थिति यूं ही बनी रहती है और बल्लेबाजों के बड़े स्कोर का दबाव गेंदबाजों पर बढ़ता है, तो यह संभव है कि आगामी समय में क्रिकेट में गेंदबाजों के मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। यही कारण है कि अश्विन की बातों को गंभीरता से लिया जा रहा है और भविष्य में खिलाड़ियों की मानसिक सेहत को लेकर अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
रविचंद्रन अश्विन का यह बयान यह साबित करता है कि क्रिकेट अब केवल शारीरिक क्षमता का खेल नहीं रह गया है, बल्कि मानसिक मजबूती भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो गई है। टी20 क्रिकेट की तेजी से बदलती और चुनौतीपूर्ण दुनिया में गेंदबाजों को अपनी मानसिक स्थिति को बनाए रखने के लिए मदद की आवश्यकता हो सकती है। यही वक्त है जब क्रिकेट के खेल में मानसिक स्वास्थ्य को भी उतना ही महत्व दिया जाए, जितना कि शारीरिक फिटनेस को।
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