KNEWS DESK- टीम इंडिया के अंदर हाल ही में आपसी फूट और खराब प्रदर्शन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सबसे ज्यादा सवाल भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व पर उठ रहे हैं। 10 साल बाद गंभीर की कोचिंग में भारतीय टीम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT 2024-25) में जीत दर्ज नहीं कर सकी, जबकि इससे पहले गंभीर के ही अंडर भारतीय टीम ने 27 साल में पहली बार श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज गंवाई थी। हाल ही में, न्यूजीलैंड ने भारत को उसके घरेलू मैदान पर टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप कर दिया, जो गंभीर के कोचिंग रिकॉर्ड पर और सवाल खड़े कर रहा है।
गंभीर को खुद को साबित करने के लिए 66 दिन
सूत्रों के अनुसार, गौतम गंभीर के पास अब खुद को साबित करने के लिए केवल 66 दिन का समय बचा है। BCCI के एक सूत्र ने PTI को बताया कि यदि चैंपियंस ट्रॉफी तक भारतीय टीम का प्रदर्शन नहीं सुधरता है, तो गंभीर को हेड कोच के पद से हटाने का फैसला लिया जा सकता है। सूत्र ने कहा, “अभी एक टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला जाना है और फिर चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन होगा। यदि तब तक टीम के प्रदर्शन में सुधार नहीं आता है, तो गंभीर का कोच पद भी खतरे में पड़ सकता है।”
प्लेइंग इलेवन में लगातार बदलाव से असुरक्षा की भावना
गंभीर के कोच बनने के बाद से टीम इंडिया में लगातार प्लेइंग इलेवन में बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे खिलाड़ियों के अंदर असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है। इस अस्थिरता के कारण टीम के प्रदर्शन पर भी असर पड़ा है। खिलाड़ियों का मानना है कि लगातार बदलावों से टीम का संतुलन और फोकस प्रभावित हो रहा है। यह गंभीर के कोचिंग तरीकों पर सवाल खड़ा कर रहा है, जिससे उनकी स्थिति और मुश्किल हो सकती है।
चैंपियंस ट्रॉफी: गंभीर के लिए आखिरी मौका?
चैंपियंस ट्रॉफी का शेड्यूल सामने आ चुका है, जिसकी शुरुआत 19 फरवरी से होगी और फाइनल 9 मार्च को खेला जाएगा। भारतीय टीम के सभी मैच हाइब्रिड मॉडल के तहत दुबई में खेले जाएंगे, जबकि पाकिस्तान में अन्य टीमों के मैच होंगे। यह टूर्नामेंट गौतम गंभीर के लिए एक बड़ा टेस्ट होगा, क्योंकि अगर चैंपियंस ट्रॉफी में टीम का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, तो उन्हें पद से हटाए जाने का खतरा बन सकता है।
BCCI का रुख और भविष्य की रणनीति
हालांकि, BCCI ने अभी तक गंभीर पर कोई निर्णय नहीं लिया है। बोर्ड इस समय उन्हें और समय देना चाहता है, लेकिन अगर अगले कुछ महीनों में टीम के प्रदर्शन में सुधार नहीं होता है, तो बोर्ड को कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं। भारत में क्रिकेट प्रशंसकों के बीच यह चर्चा का विषय बन चुका है कि क्या गंभीर की कोचिंग में भारतीय क्रिकेट टीम अपने पुराने रंग में लौट पाएगी या नहीं। अंत में, यह कहा जा सकता है कि गौतम गंभीर के पास अब अपनी कोचिंग क्षमता साबित करने का अंतिम अवसर होगा, और चैंपियंस ट्रॉफी उनकी अगली बड़ी परीक्षा है।