KNEWS DESK- 3 अप्रैल, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत सहित कई देशों पर “रेसिप्रोकल टैरिफ” (Reciprocal Tariff) लागू करने की घोषणा की, जिसने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी। भारत पर 26% का यह टैरिफ लगाया गया है, जो 9 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा। लेकिन आखिर यह रेसिप्रोकल टैरिफ है क्या, और इसका भारत पर क्या असर होगा? आइए इसे समझते हैं।
रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?
रेसिप्रोकल टैरिफ एक व्यापारिक नीति है, जिसमें एक देश दूसरे देश द्वारा अपने सामानों पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में उसी स्तर का या उसके बराबर टैरिफ लगाता है। इसका मकसद व्यापार को “संतुलित” करना और अपने देश के हितों की रक्षा करना होता है। ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि अमेरिका लंबे समय से कम टैरिफ नीति अपनाता रहा है, जबकि अन्य देश, जैसे भारत, अमेरिकी सामानों पर ऊंचे टैरिफ लगाते हैं। उदाहरण के लिए, भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% तक टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारत से आयातित सामानों पर औसतन 5% टैरिफ लेता था। अब ट्रम्प ने इसे बदलने का फैसला किया है।
2 अप्रैल को व्हाइट हाउस में “लिबरेशन डे” के रूप में घोषित इस नीति के तहत, अमेरिका ने सभी देशों पर 10% का आधारभूत टैरिफ लगाया है। इसके अलावा, भारत जैसे 60 देशों पर अतिरिक्त “रेसिप्रोकल” टैरिफ लागू किया गया, जो भारत के मामले में 26% है। ट्रम्प का कहना है कि यह कदम अमेरिकी श्रमिकों और उद्योगों को “निष्पक्षता” दिलाएगा।
भारत पर क्यों लगाया गया यह टैरिफ?
ट्रम्प ने भारत को “टैरिफ किंग” कहकर आलोचना की है। उनका तर्क है कि भारत अमेरिकी सामानों, जैसे मोटरसाइकिल (100%), व्हिस्की, और कृषि उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। व्हाइट हाउस के अनुसार, भारत की गैर-टैरिफ बाधाएं (जैसे परीक्षण और प्रमाणन नियम) भी अमेरिकी निर्यात को मुश्किल बनाती हैं। दूसरी ओर, अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 2024 में 45.7 बिलियन डॉलर रहा, जो इस नीति का एक बड़ा कारण बना।
हालांकि, भारत को 26% का “डिस्काउंटेड” टैरिफ दिया गया है, जो भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए 52% औसत टैरिफ का आधा है। ट्रम्प ने इसे “उदारता” करार दिया, लेकिन यह साफ है कि उनका लक्ष्य भारत को अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव के लिए दबाव डालना है।