KNEWS DESK – भारत के चुनाव आयोग ने आधार कार्ड और वोटर आईडी (EPIC) को जोड़ने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। यह बड़ा फैसला मंगलवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के साथ चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी मौजूद थे। इस बैठक में गृह मंत्रालय, विधायी विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) और यूआईडीएआई (UIDAI) के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए।
संवैधानिक और कानूनी आधार
चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के तहत लिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा WP (सिविल) संख्या 177/2023 में दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा। आयोग ने बताया कि अब UIDAI और ECI के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच विस्तृत तकनीकी चर्चा शुरू होगी, ताकि इस योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
आधार को वोटर आईडी से जोड़ने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फर्जी वोटिंग को रोका जा सकेगा। वर्तमान में, कई लोगों के पास एक से अधिक स्थानों पर वोटर आईडी कार्ड होने की आशंका रहती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकती है। आधार से जुड़ने के बाद यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी व्यक्ति एक ही स्थान पर वोट डाल सके।
डुप्लिकेट वोटर आईडी की पहचान
हाल ही में चुनाव आयोग ने यह भी निर्णय लिया था कि वह तीन महीने के भीतर डुप्लिकेट वोटर आईडी नंबर वाले लोगों को नए EPIC नंबर जारी करेगा। हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया कि डुप्लिकेट वोटर आईडी का मतलब यह नहीं कि सभी फर्जी वोटर हैं, लेकिन इसे एक पारदर्शी प्रणाली में बदलने की जरूरत है।
चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम
इस नई पहल से भारत में चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सकेगा। इससे न केवल फर्जी वोटरों की पहचान की जाएगी बल्कि मतदाता सूची को भी अधिक सुव्यवस्थित किया जाएगा। अब देखना होगा कि यह नई प्रणाली कब तक पूरी तरह लागू होती है और इसका कितना असर आगामी चुनावों पर पड़ता है।