KNEWS DESK- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 9 अप्रैल यानी आज अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में 0.25% की कटौती करने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद रेपो रेट अब 6% हो गई है, जो पहले 6.25% थी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस कटौती की घोषणा करते हुए कहा कि यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। उन्होंने वैश्विक विकास के लिए आने वाली नई चुनौतियों का भी जिक्र किया और इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए इस कदम को महत्वपूर्ण बताया।
यह कटौती आरबीआई की लगातार दूसरी बार की गई है, जब प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कमी की गई है। फरवरी में भी आरबीआई ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 6.25% किया था, जो मई 2020 में हुई पिछली दर कटौती के बाद का सबसे निचला स्तर था। वर्तमान में, ब्याज दरों में यह कटौती अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम शुल्कों के मद्देनजर की गई है। इन शुल्कों से प्रभावित हो रही अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। इसका सीधा असर बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋणों की दरों पर पड़ता है। रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कर्ज सस्ते हो जाएंगे, जिससे आम नागरिकों को जैसे होम लोन, ऑटो लोन आदि पर कम ब्याज दर मिलेगी। हालांकि, यह निर्णय बैंकों पर निर्भर करता है कि वे कितनी जल्दी और कितनी मात्रा में ईएमआई में कटौती करते हैं।
आरबीआई ने 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% रखा है, जो पहले 6.7% था। इसके अलावा, महंगाई दर के बारे में आरबीआई ने 2025-26 में इसे 4% के आसपास रहने का अनुमान जताया है। फरवरी में महंगाई दर 4.2% रहने का अनुमान था। गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में सुधार हो रहा है और यह सकारात्मक दायरे में प्रवेश कर चुकी है।
तिमाहीवार वृद्धि दर का अनुमान
आरबीआई ने 2025-26 के वित्तीय वर्ष के लिए तिमाहीवार जीडीपी वृद्धि और महंगाई का अनुमान भी जारी किया है:
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पहली तिमाही (Q1): जीडीपी वृद्धि दर 6.5%, महंगाई दर 3.6%
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दूसरी तिमाही (Q2): जीडीपी वृद्धि दर 6.7%, महंगाई दर 3.9%
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तीसरी तिमाही (Q3): जीडीपी वृद्धि दर 6.6%, महंगाई दर 3.8%
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चौथी तिमाही (Q4): जीडीपी वृद्धि दर 6.3%, महंगाई दर 4.4%
यह अनुमान देश की आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीति के रुझान को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, और इसके आधार पर भविष्य में अर्थव्यवस्था की दिशा निर्धारित होगी।
रेपो रेट में कटौती का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत करना है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी शुल्कों का दबाव है। इससे आम नागरिकों और व्यवसायों को राहत मिलेगी, क्योंकि ब्याज दरों में कमी से कर्ज लेना सस्ता होगा। वहीं, बैंक और वित्तीय संस्थान भी इस कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। समग्र रूप से, आरबीआई का यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, जो कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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