KNEWS DESK- अमेरिकी शॉर्ट सेलर रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के हालिया आरोपों के संदर्भ में, भारतीय बाजार नियामक सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने स्पष्टता प्रदान की है। SEBI के चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है, जिसमें हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को नकारते हुए सभी आरोपों को झूठा बताया गया है।
SEBI का बयान और निवेशकों के लिए सलाह
SEBI ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में उठाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं। निवेशकों को आश्वस्त करते हुए, सेबी ने सलाह दी है कि वे इस रिपोर्ट के भ्रम में न आएं और किसी भी तरह की घबराहट से बचें। चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने बयान में कहा कि SEBI समय-समय पर सभी आवश्यक जानकारियों को सार्वजनिक करती रही हैं और चेयरपर्सन बनने के बाद उन्होंने संभावित हितों के टकराव से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया था।
SEBI ने निवेशकों से अपील की है कि वे किसी भी निवेश निर्णय से पहले रिपोर्ट की छानबीन करें और विशेष रूप से हिंडनबर्ग द्वारा प्रदान किए गए डिस्क्लेमर को ध्यान से पढ़ें। रिपोर्ट के डिस्क्लेमर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह रिपोर्ट किसी भी तरह की निवेश सलाह नहीं है और पाठकों को खुद से जांच-पड़ताल करने की सलाह दी गई है।
अडानी समूह के खिलाफ जांच: SEBI का दृष्टिकोण
SEBI ने बताया कि अडानी समूह के खिलाफ पिछले आरोपों की जांच पूरी हो चुकी है। 24 में से 23 जांचों का निष्कर्ष यह रहा कि हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट में लगाए गए आरोप सही नहीं पाए गए। ब्लैकस्टोन को लेकर उठाए गए नए आरोप भी गलत हैं। SEBI ने यह भी स्पष्ट किया कि कनफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट से संबंधित मामलों के लिए एक ठोस ढांचा तैयार किया गया है, और सभी नियमों का पालन किया गया है।
जांच की प्रक्रिया और दस्तावेजों की समीक्षा
SEBI ने पिछली रिपोर्ट के बाद की गई जांचों के बारे में बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्थिति स्पष्ट की थी। अब तक 12,000 पेजों के 300 से ज्यादा दस्तावेजों की जांच की गई है। 100 से ज्यादा समन जारी किए गए हैं, 1,100 पत्र और ईमेल भेजे गए हैं, और 100 बार से ज्यादा घरेलू और विदेशी रेगुलेटर से मदद मांगी गई है। एक जांच अभी भी चल रही है, जिसे जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा।
निवेशकों को विशेष सलाह
SEBI ने निवेशकों से अनुरोध किया है कि वे इस तरह की रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले शांत रहें और पूरी सावधानी बरतें। रिपोर्ट में दिए गए डिस्क्लेमर को पढ़ना अनिवार्य है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि रिपोर्ट में शामिल प्रतिभूतियों पर हिंडनबर्ग रिसर्च की शॉर्ट पोजीशन हो सकती है। डिस्क्लेमर में यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह के व्यापारिक नुकसान के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च या संबंधित पार्टियां जिम्मेदार नहीं होंगी, और निवेशकों को अपने वित्तीय, कानूनी, और कर सलाहकारों से सलाह लेकर ही निवेश निर्णय लेना चाहिए। इस तरह, SEBI के ताजा बयान और दी गई सलाह से यह स्पष्ट हो गया है कि निवेशकों को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है और सावधानीपूर्वक कदम उठाने की आवश्यकता है।
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