KNEWS DESK – भारत, जो वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, अपनी तेल आवश्यकताओं के 87% से अधिक के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भर करता है। हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण, देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की संभावना बढ़ गई है।
सरकारी तेल कंपनियों को लाभ
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने सरकारी तेल कंपनियों को बड़ा लाभ दिया है। देश की प्रमुख सरकारी कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर की कमी करने का निर्देश दिया गया था।
चुनावों से पहले राहत के संकेत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और गिरावट देखी जा सकती है। इस कदम से सरकार द्वारा आम लोगों को राहत देने का प्रयास किया जा रहा है, जो पेट्रोल और डीजल की उच्च कीमतों से प्रभावित हैं।
2010 से लागू मूल्य निर्धारण नियम
2010 में पेट्रोल की कीमतों को वैश्विक बाजार की कीमतों से जोड़कर नियंत्रणमुक्त किया गया था, जबकि 2014 में डीजल की कीमतों को भी नियंत्रणमुक्त किया गया था। इसके बावजूद, कई राज्यों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर से ऊपर हैं और डीजल की कीमतें भी 90 रुपए प्रति लीटर से अधिक बनी हुई हैं। इन उच्च कीमतों का असर परिवहन, खाना पकाने और विभिन्न उद्योगों पर पड़ रहा है।
भारत का रणनीतिक प्लान
भारत सरकार ने ओपेक और ओपेक+ से तेल उत्पादन बढ़ाने की मांग की है, खासकर ऐसे समय में जब देश की ईंधन की मांग बढ़ रही है। ओपेक+ ने हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद अक्टूबर और नवंबर के लिए तेल उत्पादन वृद्धि को स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की है।
भारतीय कंपनियों की भूमिका
भारतीय कंपनियां रूस समेत सबसे अधिक लागत प्रभावी आपूर्तिकर्ताओं से कच्चे तेल की खरीद को अधिकतम करने के लिए तैयार हैं। यह कदम भारतीय बाजार में तेल की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और आम लोगों को सस्ते ईंधन की सुविधा प्रदान कर सकता है।
इस प्रकार, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सरकारी नीतियों के तहत पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की संभावना ने भारतीय उपभोक्ताओं को राहत दी है। आने वाले दिनों में, चुनावी माहौल और वैश्विक तेल बाजार की स्थितियों के आधार पर, ईंधन की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।