KNEWS DESK – 15 दिसंबर की रात, भारतीय संगीत जगत ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया। अपनी तबला वादन कला से विश्वभर में भारत का नाम रोशन करने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 72 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी तबले की थाप ने न केवल श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। उनके निधन की खबर ने पूरे देश और दुनिया में उनके प्रशंसकों को शोकाकुल कर दिया है।
भारतीय संगीत का एक उज्ज्वल सितारा
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता और गुरु, उस्ताद अल्लारक्खा, खुद एक मशहूर तबला वादक थे। संगीत उनके खून में था, और बचपन से ही उन्होंने तबला वादन में रुचि दिखानी शुरू कर दी। जाकिर हुसैन ने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल की, बल्कि पश्चिमी संगीत के साथ भी भारतीय संगीत का शानदार संगम पेश किया।
उनका नाम ग्रैमी अवॉर्ड्स विजेताओं में शामिल रहा, और उन्होंने अपने जीवनकाल में अनगिनत पुरस्कार और सम्मान हासिल किए। उनकी जोड़ी कई महान संगीतकारों के साथ बनी, जिनमें सितारवादक पंडित रविशंकर और सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान शामिल हैं। उनकी लय और ताल की गहराई संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा बसी रहेगी।
उनकी बीमारी और अंतिम समय
जाकिर हुसैन पिछले कुछ समय से इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) नामक एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे। यह बीमारी फेफड़ों के ऊतकों को सख्त और मोटा कर देती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। उनका इलाज सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में चल रहा था, लेकिन वे इस बीमारी से उबर नहीं सके।
सुपुर्द-ए-खाक की तैयारी
जाकिर हुसैन को उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में दफनाया जाएगा। उनके परिवार के सदस्य, जिनमें उनके भाई फजल कुरैशी और बहन खुर्शीद औलिया शामिल हैं, अमेरिका पहुंच चुके हैं। उनकी पत्नी एंटोनिया मिन्नेकोला ने बताया कि जाकिर हुसैन ने हमेशा अपने परिवार के करीब रहना चाहा, और यही कारण है कि उन्होंने अमेरिका में अंतिम संस्कार की इच्छा व्यक्त की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य हस्तियों की श्रद्धांजलि
उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर देशभर में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा “महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में क्रांति ला दी और तबले को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी लयबद्धता ने लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध किया और भारतीय संगीत को विश्व संगीत से जोड़ने में मदद की। वे सांस्कृतिक एकता के प्रतीक बन गए। उनके योगदान से आने वाली पीढ़ियां प्रेरित होंगी।”
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बॉलीवुड के कई सितारों, जैसे अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर, और शाहरुख खान ने भी सोशल मीडिया पर अपने दुख व्यक्त किए। संगीत और कला जगत के दिग्गजों ने उनकी कला और उनकी अद्वितीय शैली को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।