KNEWS DESK – कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना ने एक बार फिर देश की महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने हर महिला को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वह वास्तव में अपने देश में सुरक्षित हैं। ऐसी स्थिति में, अभिनेत्री से लेखिका बनीं ट्विंकल खन्ना ने देश में महिला सुरक्षा की दयनीय स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की है। ट्विंकल का मानना है कि भारत में महिलाएं भूतों से नहीं, बल्कि मर्दों से डरती हैं।
ट्विंकल खन्ना का विचारोत्तेजक कॉलम
ट्विंकल खन्ना ने टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए ‘भूत भारतीय महिलाओं को क्यों नहीं डराते’ शीर्षक से एक कॉलम लिखा है। इस कॉलम में उन्होंने भारतीय समाज की उस मानसिकता को उजागर किया है जो आज भी महिलाओं को हर कदम पर डर और असुरक्षा का एहसास कराती है। उन्होंने कहा, “इस ग्रह पर पचास साल हो गए हैं, और मैंने पाया है कि हम अभी भी अपनी बेटियों को वही चीजें सिखा रहे हैं जो मुझे एक बच्चे के रूप में सिखाई गई थीं। अकेले मत जाओ। पार्क में, स्कूल में, काम पर अकेले मत जाओ।”
महिला सुरक्षा पर कड़ा संदेश
ट्विंकल ने अपने लेख में कहा कि समाज की सोच आज भी नहीं बदली है। उन्होंने लिखा, “किसी भी आदमी के साथ अकेले न जाए, चाहे वो आपका चाचा, चचेरा भाई या दोस्त ही क्यों न हो। सुबह या शाम को अकेले न जाएं, खासकर रात में तो बिल्कुल भी नहीं। अकेले मत जाओ क्योंकि यह अगर का नहीं, बल्कि कब का मामला है। अकेले मत जाओ क्योंकि हो सकता है तुम कभी वापस न आओ।” ट्विंकल ने इस पर जोर दिया कि अब समय आ गया है कि कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए ताकि महिलाओं को घरों में बांधकर रखने के बजाय उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित महसूस कराया जा सके।
भूतों से नहीं, मर्दों से डर
कॉलम में ट्विंकल ने यह भी लिखा, “तब तक, मुझे लगता है कि इस देश की स्त्री के लिए किसी पुरुष की तुलना में अंधेरी गली में भूत का सामना करना ज्यादा सुरक्षित है।” ट्विंकल का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि महिलाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा किसी भूत से नहीं, बल्कि उस पुरुष से है जो समाज में बेखौफ घूम रहा है।
स्त्री 2 से जुड़ी महिला सुरक्षा की स्थिति
ट्विंकल खन्ना ने अपने कॉलम में फिल्म ‘स्त्री 2’ का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि डरावनी फिल्में भी एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश देने का एक मनोरंजक तरीका हो सकती हैं। ‘स्त्री 2’ के संदर्भ में उन्होंने लिखा, “यहां महिलाएं आजाद हैं और पुरुष डरे हुए हैं, क्योंकि साल में चार रातों के लिए आने वाली वो स्त्री सिर्फ शाम ढलने के बाद इधर-उधर घूमने वाले पुरुषों को अपना शिकार बनाती है। यह उस डर का निवारण है जो महिलाएं रोज अनुभव करती हैं।”
समाज की सोच में बदलाव की जरूरत
ट्विंकल खन्ना के इस कॉलम ने स्पष्ट रूप से समाज की उन धारणाओं को चुनौती दी है जो महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आज भी बहुत पिछड़ी हुई हैं। उनका मानना है कि जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी, तब तक महिलाएं अपने ही देश में असुरक्षित महसूस करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि समाज को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए और महिलाओं को घरों में कैद रखने के बजाय उन्हें एक सुरक्षित माहौल प्रदान करना चाहिए।