KNEWS DESK – बॉलीवुड में नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद का मुद्दा समय-समय पर चर्चा में आता रहता है। यह वह विषय है जिसने इंडस्ट्री के कई सितारों को आक्रोशित किया है और सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर बहस का कारण बना है। 2020 में इस मुद्दे ने उस वक्त ज़बरदस्त सुर्खियाँ बटोरीं, जब अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन ने संसद में इस पर बयान देते हुए कहा था, “जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो।” इस बयान के बाद एक्टर रणवीर शौरी ने अपने सोशल मीडिया पर एक तीखी प्रतिक्रिया दी थी, जो अब चार साल बाद भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
रणवीर शौरी ने नेपोटिज्म के खिलाफ दिया था बयान
रणवीर शौरी जो अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं, जया बच्चन के बयान के बाद इतने भड़क गए थे कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट करते हुए कहा, “थालियां सजाते हैं यह अपने बच्चों के लिए। हम जैसों को फेंके जाते हैं सिर्फ टुकड़े। अपना टिफिन खुद पैक करके काम पर जाते हैं हम। किसी ने कुछ दिया नहीं है। जो है, वो है जो यह लोग हमसे ले नहीं सके। इनका बस चलता तो वो भी अपने ही बच्चों को दे देते।” यह ट्वीट उस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था और रणवीर के इस बयान को नेपोटिज्म के खिलाफ एक कड़ा विरोध माना गया।
चार साल रणवीर ने दी सफाई
हाल ही में, एक इंटरव्यू में रणवीर शौरी ने अपने चार साल पुराने ट्वीट को लेकर सफाई दी है। एक बातचीत में रणवीर ने कहा कि उनका यह ट्वीट जया बच्चन के खिलाफ नहीं था, बल्कि उस समय जो माहौल बना हुआ था, उसके संदर्भ में था। रणवीर ने कहा, “मैंने जया जी की टिप्पणी पर ऐसा नहीं कहा था, उन्होंने उस समय जो कुछ भी कहा वह इंटरनेट पर छा गया था। हर कोई उस थाली के बारे में बात कर रहा था। इसलिए मैंने भी अपनी राय दी, लेकिन यह उनके जवाब में नहीं था। मुझे यह लिखते हुए बहुत गुस्सा आया होगा।”
रणवीर ने आगे कहा, “आज अगर मुझे यही बात कहनी पड़े, तो शायद मैं इसे इतने सारकास्टिक तरीके से जाहिर नहीं करूंगा। मुझे इस पर इतना गुस्सा होने की जरूरत नहीं थी। मैंने ये तब लिखा है जब मेरे अंदर वो गुस्सा पनप रहा था, बॉलीवुड में दोहरा व्यवहार किया गया। इसलिए मुझे लगता है कि यह मेरा गुस्सा व्यक्त करता है।”
नेपोटिज्म को लेकर रणवीर ने कहा
रणवीर शौरी का यह बयान दर्शाता है कि नेपोटिज्म पर उनकी नाराजगी केवल एक व्यक्तिगत अनुभव तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक व्यापक मुद्दा था, जिससे वे और अन्य आउटसाइडर्स प्रभावित हुए हैं। रणवीर का यह मानना है कि बॉलीवुड में काबिलियत के बावजूद आउटसाइडर्स को अक्सर संघर्ष का सामना करना पड़ता है, जबकि स्टार किड्स को आसानी से मौके मिल जाते हैं।
यह चार साल पुराना ट्वीट और हालिया सफाई रणवीर शौरी की उस लड़ाई का प्रतीक है, जो वे बॉलीवुड में खुद को स्थापित करने के लिए लड़ रहे हैं। उनका यह सफर न केवल उनकी प्रतिभा को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि नेपोटिज्म के खिलाफ उनकी आवाज आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।
रणवीर शौरी का यह साहस और सच बोलने का हौसला आज के दौर में भी महत्वपूर्ण है, जहां नेपोटिज्म और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी हो गया है। उनके अनुभव और उनकी ईमानदारी नए कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकते हैं, जो अपने दम पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।