KNEWS DESK – पाकिस्तानी एक्ट्रेस, सिंगर और होस्ट फिजा अली अपने बयानों के चलते सुर्खियों में हैं। हाल ही में रमजान के दौरान एक टॉक शो में उन्होंने बहुविवाह (मल्टीपल मैरिज) और फेमिनिज्म पर अपनी राय रखी, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर उनकी चर्चा जोरों पर है। उनके इस बयान को लेकर लोग मिला-जुला रिएक्शन दे रहे हैं| कुछ उनके समर्थन में खड़े हैं, तो कुछ उनकी आलोचना कर रहे हैं।
इस्लाम में चार शादियों का हुक्म नहीं, सिर्फ इजाजत है
शो के दौरान फिजा अली ने इस्लाम में बहुविवाह को लेकर कहा कि चार शादियों का हुक्म नहीं दिया गया, बल्कि सिर्फ इजाजत दी गई है, वो भी मजबूरी में। उन्होंने समझाते हुए कहा, इस्लाम में चार शादी करने का कोई हुक्म नहीं दिया गया, बल्कि यह सिर्फ उन परिस्थितियों के लिए इजाजत दी गई है जब किसी बेसहारा महिला, विधवा, तलाकशुदा या जरूरतमंद के सिर पर हाथ रखना जरूरी हो। लेकिन आजकल कुछ लोग इसे अपनी अय्याशी का जरिया बना रहे हैं। फिजा ने समाज में फैले बहुविवाह के गलत चलन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गर्व से कहते हैं कि मेरी दो बीवियां खुश हैं, मैं तीसरी भी करूंगा, चौथी भी करूंगा, लेकिन क्या वे सच में सभी को खुश रख पाते हैं? उन्होंने इसे अनैतिक प्रवृत्ति बताते हुए कहा कि अगर किसी को सच में जरूरतमंदों की मदद करनी है तो शादी के बिना भी की जा सकती है।
फेमिनिज्म का असली मतलब समझने की जरूरत
फिजा अली ने सिर्फ बहुविवाह ही नहीं, बल्कि फेमिनिज्म (नारीवाद) पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने “मेरा जिस्म, मेरी मर्जी” जैसे फेमिनिस्ट स्लोगन्स की आलोचना की और कहा कि अक्सर फेमिनिज्म की लड़ाई सिर्फ बोल्ड और फैशनेबल महिलाओं तक सीमित रह जाती है। उन्होंने कहा,फेमिनिस्ट अक्सर उन्हीं महिलाओं को सपोर्ट करते हैं जो अपने घर के काम करने से इनकार कर देती हैं। लेकिन जो महिलाएं हिजाब पहनकर, इस्लामिक वैल्यूज को अपनाकर अपने परिवार के लिए संघर्ष करती हैं, उनके लिए कोई नहीं खड़ा होता। फिजा ने यह भी कहा कि इस्लामिक वैल्यूज फॉलो करने वाली महिलाओं को भी उतनी ही इज्जत और सपोर्ट मिलना चाहिए, जितना कि आधुनिक और खुले विचारों वाली महिलाओं को मिलता है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
फिजा अली के इस बयान ने पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर नया विवाद खड़ा कर दिया है। कुछ लोगों ने उनकी बातों का समर्थन किया, तो कुछ ने कहा कि उन्हें इस्लाम की गहरी समझ नहीं है। समर्थकों का कहना है कि फिजा ने बहुविवाह के सही मायने समझाए और यह बताया कि इस्लाम में इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है। विरोधियों ने कहा कि इस्लाम में चार शादियां जायज हैं और किसी को इसे गलत कहने का हक नहीं है। फेमिनिज्म पर उनकी राय पर भी लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने इसे “नारीवाद का असली रूप समझाने वाला बयान” कहा, तो कुछ ने इसे महिलाओं की आजादी पर हमला बताया।