KNEWS DESK – हिंदी सिनेमा के सबसे वर्सटाइल और बेहतरीन अभिनेताओं में से एक, मनोज बाजपेयी, हाल ही में अपनी फिल्म ‘भैया जी’ को लेकर चर्चा में थे। उन्होंने अपने करियर और किरदारों पर खुलकर बात की, खासकर टाइपकास्टिंग को लेकर जो उनके अभिनय को सीमित करती है। मनोज ने बताया कि भले ही उनका अभिनय काफी विविधता से भरा हुआ है, लेकिन उन्हें कभी भी हाई-फाई और अमीर किरदार निभाने का मौका नहीं मिलता।
टाइपकास्टिंग बनी बड़ी चुनौती
मनोज बाजपेयी का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में टाइपकास्टिंग की समस्या है, जो एक एक्टर को नए और अलग-अलग तरह के किरदारों को निभाने से रोकती है। उन्होंने बताया, “मुझे कभी भी बड़े-बड़े लोगों के रोल निभाने का मौका नहीं मिलता।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके पूरे करियर में केवल एक बार उन्हें अमीर आदमी का किरदार निभाने का मौका मिला, और वह भी 2001 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘ज़ुबैदा’ में था।
मनोज ने यह भी कहा कि श्याम बेनेगल का दृष्टिकोण अलग था और उन्होंने यह विश्वास किया कि असली महाराजाओं की छवि ग्रीक देवताओं जैसी नहीं होती थी। इसी वजह से उन्होंने मनोज को इस किरदार के लिए चुना। यह एक ऐसा अनुभव था जो मनोज के लिए खास रहा, लेकिन इसके बाद उन्हें शायद ही किसी फिल्म में अमीर या हाई-फाई किरदार निभाने का मौका मिला हो।
डायरेक्टर्स को स्टीरियोटाइपिंग से बाहर निकलने की जरूरत
मनोज बाजपेयी ने यह भी कहा कि बॉलीवुड में डायरेक्टर्स को स्टीरियोटाइपिंग से बाहर निकलने की जरूरत है। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई बार इस बात पर नाराजगी जताई कि उन्हें मिडिल और लोअर मिडिल क्लास के किरदारों तक ही सीमित कर दिया गया है। “कोई भी डायरेक्टर मुझे अमीर आदमी के रोल में नहीं देखता,” मनोज ने कहा। उन्होंने बताया कि अब तक सिर्फ दो बड़े फिल्ममेकर ही ऐसे रहे हैं जिन्होंने उन्हें इस स्टीरियोटाइप से बाहर देखा।
बाजपेयी ने यश चोपड़ा का भी ज़िक्र किया, जिन्होंने उन्हें 2004 में आई फिल्म ‘वीर-ज़ारा’ में एक प्रभावशाली राजनेता का छोटा सा रोल दिया था। यश चोपड़ा ने उन्हें इस रोल के लिए चुना था क्योंकि उन्हें मनोज का काम ‘पिंजर’ में बहुत पसंद आया था। बाजपेयी ने कहा कि ऐसे फिल्ममेकर्स का नजरिया बहुत अलग होता है, और उन्हें ज़िंदगी को करीब से देखने का अलग तरीका आता है।
मिडिल क्लास कहानियों के प्रतीक बने मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी का करियर मुख्य रूप से मिडिल और लोअर मिडिल क्लास की कहानियों से जुड़ा रहा है। ‘सत्या’, ‘शूल’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी फिल्मों में उनके दमदार अभिनय ने उन्हें एक सशक्त कलाकार के रूप में स्थापित किया है। हालांकि, वे अब भी इस बात पर निराश हैं कि इंडस्ट्री उन्हें अमीर या हाई-फाई किरदारों में देखने से कतराती है।
मनोज ने कहा कि यह स्टीरियोटाइपिंग फिल्म इंडस्ट्री में अब भी बनी हुई है, और डायरेक्टर्स को अपनी घिसी-पिटी सोच से बाहर निकलकर कुछ नया करने की जरूरत है।
आने वाले प्रोजेक्ट्स
मनोज बाजपेयी के वर्कफ्रंट की बात करें तो उन्हें हाल ही में ‘किलर सूप’ वेब सीरीज और ‘भैया जी’ फिल्म में देखा गया था। अब वे जल्द ही प्राइम वीडियो की सुपरहिट सीरीज ‘द फैमिली मैन’ के अगले सीजन में नजर आने वाले हैं, जहां उनके फैंस को उनके दमदार अभिनय की एक और झलक मिलेगी।
मनोज बाजपेयी जैसे कलाकारों की प्रतिभा को हर तरह के किरदार में देखने का इंतजार उनके फैंस हमेशा से करते आए हैं, और शायद अब वो वक्त दूर नहीं जब वे हाई-फाई किरदारों में भी नजर आएंगे।