KNEWS DESK – भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज नाम मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक और देशभक्ति के प्रतीक इस महान कलाकार के निधन की खबर ने सिनेमा प्रेमियों, उनके प्रशंसकों और फिल्म जगत को गहरे शोक में डाल दिया है। मनोज कुमार का जाना केवल एक अभिनेता का जाना नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मनोज कुमार के निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा, फिल्मों के माध्यम से राष्ट्रभक्ति और भारतीय समाज जीवन को आम लोगों तक पहुंचाने वाले ‘भारत कुमार’ को मैं भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके योगदान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती।
मनोज कुमार की फिल्मों का दायरा जितना बड़ा था, उतनी ही गहराई उनमें भावनाओं की थी। ‘शहीद’ में भगत सिंह का किरदार निभाकर उन्होंने देशभक्ति की भावना को जन-जन तक पहुंचाया। ‘उपकार’ का गीत “मेरे देश की धरती सोना उगले” आज भी हर भारतीय के दिल में बसा हुआ है। ‘पुरब और पश्चिम’ ने भारत की सांस्कृतिक जड़ों और पश्चिमी आधुनिकता के टकराव को खूबसूरती से प्रस्तुत किया। ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्म ने सामाजिक असमानता और आम आदमी के संघर्ष को बड़े पर्दे पर सजीव किया।
सिनेमा को दी नई पहचान
मनोज कुमार न केवल एक उम्दा अभिनेता थे, बल्कि कुशल निर्देशक, गीतकार और पटकथा लेखक भी रहे। उन्होंने सिनेमा को मात्र मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय जागरूकता का मंच बनाया। अपने करियर में उन्होंने कई नवोदित कलाकारों को मंच दिया और सिनेमा को जनसरोकारों से जोड़ने की दिशा में अहम भूमिका निभाई।
सम्मान और पुरस्कार
उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। उनकी उपलब्धियां केवल पुरस्कारों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि हर भारतवासी के दिल में उन्होंने अपनी जगह बनाई। उनके निधन पर देशभर से शोक संदेशों की बाढ़ आ गई। हर कोई यही कह रहा है कि भारत कुमार” जैसा दूसरा कोई नहीं होगा। वे भारतीय सिनेमा के उस दौर की पहचान थे, जब फिल्में दिल से बनती थीं और दर्शकों के दिलों में उतरती थीं।