KNEWS DESK – बॉलीवुड अभिनेत्री अनन्या पांडे ने हाल ही में महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं पर जागरूकता बढ़ाने के लिए व्हिस्पर के साथ साझेदारी की है। इस पहल के तहत उन्होंने ब्रांड के नए उत्पाद ‘व्हिस्पर अल्ट्रा अप टू नो गैप नो लीक्स’ को लॉन्च किया। इस दौरान अनन्या ने अपने शुरुआती करियर के अनुभवों और पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों पर खुलकर बात की।
पीरियड्स के दौरान काम करने की चुनौती
अनन्या ने बताया कि शूटिंग के दौरान महिलाओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, खासकर उन दिनों में जब उन्हें पीरियड्स हो रहे होते हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब आसपास उचित सुविधाएं नहीं होतीं, तो काम करना मुश्किल हो जाता है।” उन्होंने इस बारे में बात करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “महिलाओं को अपनी जरूरतें स्पष्ट रूप से बतानी चाहिए। चाहे वह निर्देशक हों या सह-कलाकार, संवाद से ही समाधान निकलता है।”
पहला अनुभव साझा किया
अनन्या ने अपना पहला पीरियड अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह समय उनके लिए डराने वाला था। उन्होंने कहा, “जब मुझे पहली बार पीरियड्स हुए, तब मैं स्कूल में थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, क्योंकि इस बारे में किसी ने पहले बात नहीं की थी।” घर पहुंचने पर उन्होंने अपनी मां भावना पांडे और दादी से इस बारे में खुलकर बात की। “उन्होंने न केवल मुझे सहज महसूस कराया बल्कि इसे एक जश्न के रूप में मनाया
शर्म और डर को खत्म करने की जरूरत
अनन्या का मानना है कि पीरियड्स के बारे में घर और स्कूल में खुलकर बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जब तक हम इसे छिपाते रहेंगे, यह शर्म और डर का विषय बना रहेगा।” उन्होंने स्कूलों में इस विषय को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की वकालत की। “बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि पीरियड्स स्वाभाविक हैं और यह हर लड़की के जीवन का हिस्सा हैं।”
समाज में बदलाव लाने की पहल
इस साझेदारी के माध्यम से अनन्या महिलाओं को प्रेरित करना चाहती हैं कि वे अपनी समस्याओं के बारे में बिना झिझक बात करें। “यह जरूरी है कि महिलाएं अपनी जरूरतों को खुलकर बताएं।” उन्होंने कहा कि समाज में पीरियड्स से जुड़े मिथकों और शर्म को खत्म करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। “यह सिर्फ एक महिला का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह इसे सामान्य मानें,” अनन्या ने कहा।
जागरूकता बढ़ाने की जरूरत
अनन्या ने कहा कि स्कूलों और घरों में इस विषय पर खुली चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पीरियड्स से संबंधित जानकारी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए ताकि लड़के और लड़कियां दोनों इसे समझ सकें।