KNEWS DESK – विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में Mpox के खिलाफ पहली वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय Mpox के खिलाफ वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस नई वैक्सीन का इस्तेमाल सबसे पहले अफ्रीका और इसके आस-पास के देशों में किया जाएगा।
Mpox वैक्सीन का महत्व
आपको बता दें कि Mpox, जिसे पहले मॉन्कीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, एक वायरस जनित संक्रमण है जो अक्सर बुखार, सिरदर्द, पीठ में दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते उत्पन्न करता है। WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने कहा कि Mpox रोधी वैक्सीन की पहली प्री-प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
वैक्सीनेशन के लिए दिशा-निर्देश
WHO ने स्पष्ट किया है कि यह वैक्सीन केवल 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को दी जाएगी। बवेरियन नार्डिक कंपनी द्वारा निर्मित इस वैक्सीन की सप्लाई फिलहाल सीमित है, लेकिन यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से इसका वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। यह वैश्विक स्तर पर Mpox जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम में सहायक होगा।
Mpox के लक्षण और सावधानियाँ
Mpox के सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, पीठ में दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते शामिल हैं। WHO और डॉक्टरों की सलाह है कि यदि किसी व्यक्ति को पांच दिन या उससे अधिक समय तक बुखार रहता है, तो तुरंत ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए और मास्क का उपयोग करना चाहिए। यह सर्दी-खांसी के सामान्य लक्षणों से अलग होता है और जल्दी पहचानना और उपचार शुरू करना महत्वपूर्ण है।
Mpox की स्थिति और वैश्विक स्वास्थ्य अभियान
हाल ही में भारत में Mpox का पहला संदिग्ध मामला 9 सितंबर को सामने आया था। विभिन्न राज्य सरकारें इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चला रही हैं। Mpox वैक्सीनेशन अभियान के साथ, इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण में एक नई दिशा मिलेगी, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में सुधार की उम्मीद है।