Vijayadashami 2024: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व आज, आइए जानते हैं दशहरे की पूजा विधि, रावण दहन का मुहूर्त और कुछ खास उपाय

KNEWS DESK – दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हर वर्ष शारदीय नवरात्रि के समापन पर मनाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी।

दशहरे की तिथि

इस वर्ष, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 9:07 मिनट पर होगा।

रावण दहन मुहूर्त

दशहरा पर रावण का दहन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस वर्ष रावण दहन का शुभ मुहूर्त 12 अक्टूबर को शाम 5:52 मिनट से लेकर 7:26 मिनट तक रहेगा। इस समय के बीच रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाएगा।

दशहरे का शुभ योग

दशहरे पर इस बार कई शुभ योग भी बन रहे हैं। सर्वार्थसिद्धि, रवियोग और श्रवण नक्षत्र के साथ यह पर्व अधिक फलदायी माना जा रहा है। सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5:25 से 13 अक्टूबर को सुबह 4:27 तक, और रवियोग सुबह 6:20 से 13 अक्टूबर को सुबह 6:21 तक रहेगा।

दशहरा पूजा विधि

दशहरे की पूजा विधि सरल और प्रभावी होती है। पूजा का समय दोपहर में होना चाहिए। रावण का दहन प्रदोष काल में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन बही-खातों की पूजा, शमी वृक्ष की पूजा और गाय के गोबर से विशेष आकृतियाँ बनाना भी महत्वपूर्ण है।

  1. गोले और कटोरियाँ: गाय के गोबर से षट्कोणीय आकृति बनाकर 9 गोले और 2 कटोरियाँ बनाएं। एक कटोरी में चांदी का सिक्का और दूसरी में रोली, चावल, जौ एवं फल रखें।
  2. पूजा: रोली, चावल, पुष्प और जौ के ज्वारे से भगवान राम का स्मरण करते हुए पूजा करें।
  3. विशेष पाठ: चंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन का आयोजन करें।

विजयादशमी के उपाय

दशहरे पर कुछ खास उपाय भी किए जा सकते हैं जो लाभकारी सिद्ध होते हैं।

देवी अपराजिता की पूजा: इस दिन अपराजिता के फूलों से बनी माला अर्पित करें।

श्रीयंत्र की पूजा: इससे आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है।

नीलकंठ के दर्शन: नीलकंठ के दर्शन शुभ संकेत माने जाते हैं, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

क्यों मनाया जाता है दशहरा

दशहरा असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और भगवान राम ने रावण का अंत किया। इसलिए इस दिन शस्त्र पूजा, दुर्गा पूजा, राम पूजा और शमी पूजा का विशेष महत्व है। यह मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों में सफलता अवश्य मिलती है।

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