उत्तराखंड: यूसीसी की बारी, नए साल पर जारी ?

उत्तराखंड- उत्तराखंड में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में एक बार फिर यूसीसी पर चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, धामी सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता बिल यानि की (यूसीसी) पारित कर सकती है। इसके लिए धामी सरकार आगामी जनवरी के अंत तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में है। अभी अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। वहीं उम्मीद की जा रही है कि यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यूसीसी के ड्राफ्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय समिति रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। अब इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपे जाने की औपचारिकता भर ही बाकी है। ऐसे में धामी सरकार 2024 को देश में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में यूसीसी को लागू कर बड़ा दांव खेल सकती है। बताया जा रहा है कि अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के बाद धामी सरकार इस संबंध में फैसला ले सकती है। वहीं जनवरी के तीसरे सप्ताह में समिति का कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है सरकार 22 जनवरी के बाद सत्र आहूत कर सकती है। वहीं राज्य में इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष का कहना है कि सरकार लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूसीसी के मुद्दे पर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर असल मुददों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि घोषणा पत्र में यूसीसी लागू करने का वादा जनता से किया गया था। जिसे पूरा करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है।  वहीं आम जनता की यूसीसी पर क्या कुछ राय है पहले उसे सुनते हैं।

आपको बता दें कि धामी सरकार ने मई 2022 में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। बताया जा रहा है कि अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के बाद धामी सरकार इस संबंध में फैसला ले सकती है। वहीं जनवरी के तीसरे सप्ताह में समिति का कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है सरकार 22 जनवरी के बाद सत्र आहूत कर सकती है। वहीं राज्य में इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष का कहना है कि सरकार लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूसीसी के मुद्दे पर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर असल मुददों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि घोषणा पत्र में यूसीसी लागू करने का वादा जनता से किया गया था। जिसे पूरा करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है।

कुल मिलाकर उत्तराखंड में एक बार फिर यूसीसी पर सियासी बवाल छिड़ गया है। सरकार से लेकर संगठन तक इसे जल्द से जल्द लागू करने का दावा कर रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्ष ने यूसीसी पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है साथ ही यूसीसी में सरकार क्या कुछ करने जा रही है। इस पर अभी सस्पेंस बरकरार है सवाल ये है कि क्या सरकार जानबूझकर यूसीसी को लागू करने में लेट लतीफी कर रही है। क्या 2024 में धामी सरकार यूसीसी का इंतजार खत्म कर देगी, या एक बार फिर नई तारीख का इंतजार कराएगी।

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट

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