उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, केदारनाथ उपचुनाव को जीतने की तैयारियों में रात-दिन लगी धामी सरकार की टेंशन उपनल कर्मचारियों के आंदोलन ने बढ़ा दी है। नाराज उपनल कर्मचारियों ने सचिवालय का घेराव किया। इस घेराव में हजारों की संख्या में उपनल कर्मचारियों ने हिस्सा लिया साथ ही सरकार से उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण और समान कार्य के लिए समान वेतन दिये जाने की मांग की है। बता दें कि प्रदेशभर में इस समय 22 हजार से ज्यादा उपनल के कर्मचारी है। जो अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। वहीं सचिवालय कूच के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को सचिवालय बुलाया। इस वार्ता में मुख्य सचिव ने कहा कि केदारनाथ उपचुनाव की वजह से आचार संहिता लागू है। इसलिए तत्काल इस विषय पर निर्णय नहीं किया जा सकता। 24 नवंबर के बाद मुख्यमंत्री के साथ उच्च स्तरीय बैठक कराई जाएगी। मुख्य सचिव के इस आश्वासन के बाद उपनल कर्मचारी शांत हुए इस बीच खबर आई कि धामी सरकार ने उपनल कर्मियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। याचिका में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी को निरस्त करने की मांग की गई है। वहीं इस पुनर्विचार याचिका के दाखिल करने के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है। हरीश रावत ने उपनल कर्मचारियों के समर्थन में मौन उपवास रखा साथ ही सरकार से इनकी मांगों को जल्द मानने की मांग की है। सवाल ये है कि उचित कार्रवाई के आश्वासन के बावजूद सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल क्यों की है।
उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में तैनात 22 हजार से ज्यादा उपनल कर्मचारियों ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है। नाराज उपनल कर्मचारी पिछले लंबे समय से नियमितीकरण और समान कार्य के लिए समान वेतन दिये जाने की मांग कर रहे हैं। सरकार से हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से अबतक कोई उचित कार्रवाई ना होने से कर्मचारियों में काफी नाराजगी है। नाराज उपनल कर्मचारियों ने सचिवालय का कूच किया। इस कूच के दौरान भारी हंगामा हुआ. वहीं कांग्रेस ने भी लगे हाथ इस आंदोलन को समर्थन देकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
आपको बता दें कि प्रदेशभर में इस समय 22 हजार से ज्यादा उपनल के कर्मचारी है। जो अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। वहीं सचिवालय कूच के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को सचिवालय बुलाया। इस वार्ता में मुख्य सचिव ने जल्द मुख्यमंत्री के साथ उच्च स्तरीय बैठक कराने का आश्वासन दिया था। वहीं इस आश्वासन के बीच धामी सरकार ने उपनल कर्मियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। याचिका में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी को निरस्त करने की मांग की गई है। जिसके बाद राज्य में सियासत भी गरमा गई हरीश रावत ने उपनल कर्मचारियों के समर्थन में मौन उपवास रखा साथ ही सरकार के इस निर्णय को कर्मचारियों के साथ विश्वासघात बताया है।
कुल मिलाकर उपनल कर्मचारियों के मामले में एक बार फिर सियासत गरमा गई है. उपनल कर्मचारियों के साथ ही विपक्ष के दबाव ने सरकार की टेंशन को बढ़ा दिया है। इस बीच सरकार की ओर से उपनल कर्मियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका के बाद सरकार पर हमला तेज हो गया है। सवाल ये है कि क्या उपनल कर्मचारियों की समस्या का समाधान सरकार के पास है, क्या इन कर्मचारियों का आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा या कोई समाधान भी निकलेगा