घटना की शुरुआत:
झांसी रेलवे स्टेशन पर मेला स्पेशल ट्रेन को पहले प्लेटफार्म नंबर 6 से रवाना होना था। लेकिन गाड़ी के रवाना होने से कुछ ही देर पहले प्लेटफार्म नंबर 8 से ट्रेन की घोषणा होते ही यात्रियों में हड़कंप मच गया। अचानक हुए बदलाव से यात्री उस प्लेटफार्म की ओर दौड़ पड़े, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस अफरा-तफरी में कई यात्री गिर गए और मामूली चोटें आईं।
सुरक्षाकर्मियों की नदारदी:
इस हादसे के दौरान स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी कमी दिखाई दी। सुरक्षाकर्मियों की अनुपस्थिति के कारण यात्री खुद को संभालने में असमर्थ रहे। कई यात्रियों ने आरोप लगाया कि उन्हें सही समय पर कोई मार्गदर्शन या सहायता नहीं मिली। इस घटनाक्रम ने रेलवे की लापरवाही को उजागर किया है, क्योंकि इस तरह के बड़े आयोजन के दौरान यात्री सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
रेलवे की जिम्मेदारी पर उठे सवाल:
घटना के बाद रेलवे प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। यात्री सेवा और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के बजाय स्टेशन पर व्यवस्था में गड़बड़ी ने कुंभ मेला यात्रा में जा रहे लोगों की परेशानी बढ़ा दी। कई यात्री परेशान होकर वापस लौटने की कोशिश कर रहे थे, जबकि कुछ को ट्रेन में चढ़ने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
हादसे के बाद की स्थिति:
हालांकि इस भगदड़ में किसी गंभीर हादसे से बचा गया, लेकिन इस घटना ने रेलवे की तैयारियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। यात्री सुरक्षा को लेकर उठे सवालों का जवाब रेलवे अधिकारियों को देना होगा, खासकर कुंभ मेला जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में जब भारी संख्या में लोग यात्रा कर रहे होते हैं।
रेलवे प्रशासन को इस घटना से सीख लेते हुए आने वाले दिनों में यात्रा की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव हो।
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