KNEWS DESK- हरियाणा के नूंह हिंसा के 15 दिनों बाद भी लगातार अभी तक तनाव का माहौल बना हुआ है। नूंह में इतने दिनों बाद भी तनाव पूरी तरह थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक बार फिर से लोगों के बीच तनाव का माहौल देखा जा रहा है। हरियाणा के पलवल पौंडरी गांव में रविवार को हिंदू संगठनों द्वारा महापंचायत बुलाई गई थी। जिसमें लिए गए फैसले के अनुसार 28 अगस्त को फिर से नूंह में ब्रजमंडल यात्रा निकालने का ऐलान किया गया है। इस महापंचायत की बैठक में इसके साथ यह भी मांग की गई है कि नूंह जिले को पलवल एवं गुरुग्राम जिलों में मिला दिया जाए।
आपको बता दें कि नूंह में इतने दिनों बाद भी तनाव पूरी तरह थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक बार फिर से लोगों के बीच तनाव का माहौल देखा जा रहा है। हरियाणा के पलवल पौंडरी गांव में हिंदू संगठनों द्वारा महापंचायत बुलाई गई थी। शांति बहाल करने के लिए पुलिस एवं प्रशासन द्वार एक्शन किया जा रहा है। नूंह शहर में पुलिस के बुलडोजर एक्शन अभियान के दौरान 250 से ज्यादा अवैध संपत्तियों को हटाया जा चुका है। इस एक्शन के दौरान प्रशासन का कहना था कि गिराए जा रहे अवैध निर्माण में कई मकान उन लोगों के भी थे। जो हिंसा में शामिल थे। जिसमें इन लोगों की कई तरह के अवैध निर्माण को जमींदोज कर दिया गया था। फिलहाल पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बुलडोजर एक्शनकी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। जसके बाद से पुलिस द्वारा की जा रही अतिक्रमण अभियान को रोक दिया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि इस बैठक में सरकार से यह मांग किया गया है कि हिंसा के दौरान हिंदुओं की दुकानों और घरों के हुए नुकसान का सर्वेक्षण कराया जाए। इसके साथ ही उन लोगों के हुए नुकसान का मुआवजा भी दिया जाए। इस मांग में यह भी शामिल किया गया है कि नूंह में रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय बलों की 4 बटालियनों की स्थाई तौर पर तैनाती की जाए।
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महापंचायत ने सरकार से रखी कई मांगें
बता दें कि इस महापंचायत में इसके अलावा और भी कई मांगे रखी गई है। जिसमें हिंसा की जांच NIA द्वारा कराना और नूंह को गोहत्या मुक्त जिला घोषित करना भी शामिल है। इस ‘सर्व जातीय महापंचायत’ में पलवल, गुरुग्राम एवं आसपास के अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया। इस महापंचायत में यह फैसला लिया गया कि एक बार फिर से ब्रजमंडल यात्रा नूंह के नलहर से निकाली जाएगी और यह फिरोजपुर झिरका के झिर और शिंगार मंदिरों से होते हुए गुजरेगी। यह वही रास्ता है। जहां से 31 जुलाई को शोभायात्रा निकली थी। जिसके बाद यहां नूंह की हिंसा हुई थी।