शरीर को अंदर से तोड़कर रख देता है टीबी, इन 5 संकेतों को कभी न करें नजरअंदाज

knews desk : टीबी का आज बेशक इलाज आ गया है लेकिन अधिकांश लोगों को जब यह होता है तो बहुत दिनों तक पता नहीं चलता है. लेकिन बहुत दिनों तक नजरअंदाज करने पर टीबी प्रभावित अंग को खोखला करने लगता है.

टीबी एक खतरनाक बीमारी है, जिसका अगर वक्त पर इलाज नही किया जाए तो ये शरीर को अंदर से पूरी तरह तोड़कर रख देता है. हर साल 24 मार्च को ‘वर्ल्ड ट्यूबरकुलोसिस डे’ (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है, जिसका मकसद इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है. हर साल करोड़ों लोग इसके शिकार होते हैं, जिनमें से कई अपनी जान गंवा बैठते हैं. इसलिए इसके लक्षणों को वक्त पर पहचान लेना बेहद जरूरी है.

कुछ दशक पहले तक टीबी एक लाइलाज बीमारी थी, जिससे बच पाना नामुमकिन सा था, आज इसकी दवाइयों का काफी विकास हो चुका है, लेकिन शुरुआती दौर में इसका पता लगना जरूरी है. इसमें बैक्टीरिया का अटैक हमारे फेंफड़ों पर होता है. कई बार तो ये हमारे  प्रजनन अंगों पर भी वार करता है जिससे  इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है.

आमतौर पर टीबी उन लोगों को ज्यादा होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर है, इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक मेडिसिन दी जाती है. इसमें मरीज को हल्का बुखार आता है, फिर शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है, जिसके थकान की शिकायत बढ़ जाती है.

टीबी की पहचान के संकेत
मायो क्लिनिक के मुताबिक टीबी के बैक्टीरिया शरीर में तीन चरणों में विकास करते हैं और इन तीनों चरण में अलग-अलग तरह के लक्षण दिखते हैं.

1. पहला चरण-प्राइमरी टीबी इंफेक्शन-प्राइमरी इंफेक्शन में इम्यून सिस्टम के सेल्स टीबी के जर्म की पहचान कर लेता है और उसे कैप्चर कर मार देता है. लेकिन कुछ जर्म इसके बावजूद बच जाता है. प्राइमरी इंफेक्शन में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखता है. कुछ लोगों में हल्का बुखार, थकान और कफ की शिकायत हो सकती है जो अन्य सामान्य बीमारियों में भी होती है.

2.लेटैंट टीबी इंफेक्शन-प्राइमरी इंफेक्शन के बाद लेटैंट टीबी का स्टेज आता है. इस चरण में इम्यून सिस्टम टीबी के जर्म के चारों ओर एक दीवार बना देता है, इस कारण तब तक जर्म नुकसान नहीं पहुंचाता है. लेकिन इसके बाद भी जर्म जिंदा रह सकता है. हालांकि इस चरण में कोई लक्षण नहीं दिखता.

3. एक्टिव टीबी -अगर दूसरे चरण के बाद भी टीबी का जर्म जिंदा रह गया तो इम्यून सिस्टम फिर काम नहीं कर पाता है. अब जर्म पूरे फेफड़े में संक्रमण को फैला देता है. लंग्स के अलावा अन्य जगहों पर भी टीबी के बैक्टीरिया पहुंचने लगते हैं. हालांकि इस चरण तक आने में बैक्टीरिया को महीनों या सालों लग जाता है. एक्टिव टीबी के लक्षण इस प्रकार है.

1.बहुत ज्यादा कफ जो सामान्य दवाइयों से ठीक नहीं हो.
2.बलगम से खून आना.
3.छाती में दर्द.
4. सांस लेने में या खांसने में दर्द होना.
5.बुखार होना.
6.ठंड लगना.
7.रात में पसीना आना.
8.भूख नहीं लगना.
9.थकान होना.
10. स्वस्थ्य महसूस नहीं करना.

इलाज 

टीबी का शत प्रतिशत इलाज है. हालांकि हकीकत यह है कि अब भी टीबी से लोगों की मौत होती है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोग टीबी का इलाज बहुत देर से कराने जाते हैं. लेटेंड स्टेज में ही अगर डॉक्टर के पास पहुंचा जाए या लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क किया जाए एंटीबायोटिक दवाई से टीबी शत प्रतिशत ठीक हो जाता है. इसके लिए चार से पांच महीने दवा खानी पड़ती है. ऐसे में टीबी से संबंधित अगर लक्षण दिखें तो डॉक्टर का पास जाने में संकोच न करें.

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