KNEWS DESK- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से स्पष्ट कहा है कि यदि वे बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर विचार नहीं करते हैं, तो अदालत स्वयं इस पर विचार करेगी। बलवंत सिंह राजोआना पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी हैं, जिनकी हत्या 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में एक बम विस्फोट में हुई थी, जिसमें 16 अन्य लोग भी मारे गए थे।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि राजोआना की दया याचिका पर लंबे समय से कोई निर्णय नहीं हुआ है। राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में तर्क रखा कि उनकी दया याचिका पिछले 12 वर्षों से राष्ट्रपति भवन में लंबित है और उन्हें कम से कम कुछ महीनों के लिए रिहा किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति भवन में लंबित है। इस पर न्यायालय ने कहा, “किसी भी तरह से फैसला करें या हम इस पर विचार करेंगे।”
बिहार में पुल ढहने की घटनाओं की जांच पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में हाल में हुए पुल ढहने की घटनाओं के संबंध में जनहित याचिकाओं पर सुनवाई का निर्णय लिया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पीठ ने कहा कि वह इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार कर रही है।
याचिकाकर्ताओं ने बिहार में पुलों के संरचनात्मक ऑडिट की मांग की है, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। याचिका में एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने की भी मांग की गई है, जो पुलों की मजबूती और सुरक्षा की जांच करेगा। इस साल के बीच में बिहार के विभिन्न जिलों में पुलों के ढहने की कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई है। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने न केवल राजोआना की दया याचिका पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया, बल्कि बिहार में पुलों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है।