KNEWS DESK- पुणे के एक किसान परिवार को उनकी अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा देने में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर एक बार फिर नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गंभीर टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या सरकार किसी व्यक्ति की दिल्ली के लुटियंस जोन में जमीन लेकर उसे मेरठ में मुआवजा दे सकती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि महाराष्ट्र के अधिकारियों ने इस मामले में सहयोग नहीं किया तो उन्हें अदालत में बुलाया जा सकता है।
कोर्ट की नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने पहले 14 अगस्त को भी इस मामले पर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था, “आपके पास योजनाओं के लिए पैसे हैं, लेकिन इस परिवार को मुआवजा देने के लिए नहीं।” महाराष्ट्र सरकार ने लगभग 37 करोड़ रुपये मुआवजा देने का प्रस्ताव किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे नाकाफी मानते हुए कहा कि जमीन के 60 साल से अधिक समय से कब्जे और उसकी मौजूदा कीमत को देखते हुए यह राशि अपर्याप्त है।
महाराष्ट्र सरकार की नई पेशकश
आज महाराष्ट्र सरकार ने प्रभावित परिवार को नई जमीन देने की पेशकश की। हालांकि, जज इससे पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुए। कोर्ट ने आदेश दिया कि संबंधित कलेक्टर प्रभावित परिवार और उनके वकील को प्रस्तावित जमीन दिखाएं। इसके बाद यह तय किया जाएगा कि परिवार को नई जमीन दी जाएगी या उन्हें बाजार कीमत पर मुआवजा दिया जाएगा।
बहिरत परिवार का मामला
पुणे के पाशन इलाके के बहिरत परिवार से 1961 में 24 एकड़ जमीन ली गई थी। उस समय उन्हें नई जमीन दी गई थी, लेकिन बाद में वह जमीन वन क्षेत्र घोषित कर दी गई। परिवार की मूल जमीन भी रक्षा मंत्रालय को दे दी गई है। इस स्थिति के कारण परिवार लंबे समय से मुआवजे की मांग कर रहा है, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी बार-बार इसे टाल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस टालमटोल पर नाराजगी व्यक्त कर चुका है।
कोर्ट का कड़ा निर्देश
पिछली सुनवाई के बाद महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर याचिकाकर्ता को जमीन देने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन इस हलफनामे की भाषा ने जजों को और नाराज कर दिया। बेंच ने तल्ख लहजे में कहा, “आपका धन्यवाद कि आपने हमें संवैधानिक नैतिकता की याद दिलाई। अब यदि मामले का संतोषजनक समाधान नहीं निकला तो हम इस परिवार से ली गई जमीन पर मौजूद हर ढांचे को गिरा कर जमीन उन्हें वापस करने का आदेश देंगे।”
अगली सुनवाई की तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के जवाब को अवमानना भरा करार देते हुए एडिशनल चीफ सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर इस हलफनामे पर स्पष्टीकरण भी मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी।
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