KNEWS DESK- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार के अधिकारी मीडिया में यह माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन को तुड़वाने की कोई कोशिश की जा रही है। सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने डल्लेवाल का अनशन तुड़वाने का कोई आदेश नहीं दिया है, और अदालत केवल उनकी सेहत को लेकर चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगा।
समय सीमा में विस्तार, 6 जनवरी तक डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता मुहैया कराने और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दी गई समय सीमा को बढ़ाते हुए अब छह जनवरी तक यह कार्य पूरा करने का आदेश दिया है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल बीते 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं और उनकी प्रमुख मांग यह है कि केंद्र सरकार किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित करे। डल्लेवाल ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वह अपना अनशन खत्म नहीं करेंगे। उनकी बिगड़ती सेहत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को चिकित्सीय सहायता मुहैया कराने का आदेश दिया था।
पंजाब सरकार का बचाव और सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
हालांकि पंजाब सरकार ने निर्धारित समय सीमा के भीतर डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया, और कहा कि वह बल प्रयोग नहीं करना चाहते, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और स्पष्ट किया कि किसान नेता की सेहत से जुड़ा मामला संवेदनशील है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों और किसान नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी से स्थिति और जटिल हो रही है।
मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह सोमवार तक हलफनामा दाखिल कर यह सुनिश्चित करें कि अदालत के आदेश का पालन किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि डल्लेवाल का अनशन टूटे बिना उन्हें चिकित्सकीय सहायता दी जाए।
किसान नेताओं की बयानबाजी पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर किसान नेताओं की बयानबाजी को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि मीडिया में दिए गए बयानों से स्थिति और जटिल हो रही है और इससे मामले का समाधान निकालना कठिन हो रहा है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी को अनशन से रोकना नहीं है, बल्कि डल्लेवाल की सेहत को लेकर चिंता जताई जा रही है।
इससे पहले पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया था कि वे डल्लेवाल को बिना किसी बल प्रयोग के चिकित्सा सहायता देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन को सावधानी बरतनी पड़ रही है।
आगे की कार्रवाई और निर्णय
अब सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए छह जनवरी तक का समय दिया है, और इसके बाद इस मामले की फिर से सुनवाई होगी। इस मामले में और किसी भी तरह की लापरवाही को अदालत ने बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी है।
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