सोनीपत में भाजपा में हलचल, राजीव जैन ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन लिया वापस, नायब सैनी की कोशिशों का असर

KNEWS DESK-  सोनीपत विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने वाले राजीव जैन ने आखिरकार अपना नामांकन वापस लेने का निर्णय लिया है। यह कदम भाजपा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी की कोशिशों के सफल होने का परिणाम है। सैनी ने जैन को पार्टी में बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया और उनकी नाराजगी को दूर किया।

नायब सैनी की पहल

कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी ने राजीव जैन और पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन को पार्टी में बनाए रखने के लिए सक्रिय प्रयास किए। सैनी ने कहा, “राजीव जैन और कविता जैन हमारी पार्टी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अगर वे रास्ता बदलने की कोशिश करेंगे तो मैं खुद उनके पास जाऊंगा।” सैनी की इस पहल के बाद, राजीव जैन ने सोमवार सुबह अपने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन वापस लेने की घोषणा की।

भाजपा के अंदरूनी विवाद

सोनीपत विधानसभा क्षेत्र के टिकट वितरण को लेकर भाजपा में विवाद शुरू हो गया था। भाजपा ने तीन महीने पहले कांग्रेस से आए मेयर निखिल मदान को टिकट दिया था, जिसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव जैन और कविता जैन ने पार्टी के खिलाफ बगावती सुर अपनाए थे। जैन ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरते हुए पार्टी के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया था। इससे भाजपा को चुनाव में संभावित नुकसान का अंदेशा था।

सैनी का बयान और भाजपा की स्थिति

सोनीपत में सैनी के आगमन और जैन से हुई बातचीत के बाद, सैनी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राजीव जैन और कविता जैन पार्टी के अहम हिस्से हैं। उन्होंने पार्टी की एकता की पुष्टि करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी और प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनेगी।

सैनी ने कांग्रेस सांसद जयप्रकाश के हालिया बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने अनिल विज की मुख्यमंत्री बनने की इच्छा को लेकर टिप्पणी की थी। सैनी ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने की इच्छा हर किसी को होनी चाहिए और कांग्रेस के बयान पर ध्यान देना नासमझी है।

राजीव जैन की प्रतिक्रिया

राजीव जैन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उन्होंने हमेशा पार्टी के निर्देशों के अनुसार काम किया है और अब भी पार्टी के हित में काम करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई कभी व्यक्तिगत नहीं रही, बल्कि वह हमेशा कार्यकर्ताओं के काम के लिए संघर्ष करते रहेंगे। यह घटनाक्रम भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, जिसमें पार्टी ने अपने अंदरूनी विवादों को सुलझाते हुए एकता और समन्वय बनाए रखने की दिशा में एक कदम और बढ़ाया है।

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