KNEWS DESK- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी जमानत की याचिका और सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की है। इस याचिका में उन्होंने दिल्ली शराब नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी पहले की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, लेकिन अब सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद केजरीवाल की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में 21 मार्च को मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, 26 जून को सीबीआई ने भी उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया था। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को जमानत दी थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 जून को इस आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां 12 जुलाई को उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी। इस दौरान, सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया और वे वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं।
मानहानि केस पर सुप्रीम कोर्ट की संभावित सुनवाई
इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट में आज अरविंद केजरीवाल की एक और याचिका पर सुनवाई हो सकती है। इस याचिका में उन्होंने मई 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी के वीडियो को ‘एक्स’ पर शेयर करने से संबंधित मानहानि मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। खबरों के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर सकती है। इस मामले में, केजरीवाल ने स्वीकार किया है कि वीडियो शेयर करने में ‘गलती’ हुई थी।
शिकायतकर्ता विकास संकृत्यायन ने दावा किया था कि ध्रुव राठी ने जर्मनी में रहने के दौरान ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट 2’ शीर्षक वाले वीडियो को शेयर किया, जिसमें झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, और अब सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई की संभावना है।
निवेशक और सामान्य जनता पर प्रभाव
इन सभी मामलों की सुनवाई और जमानत के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से केजरीवाल की राजनीतिक स्थिति और दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इस बीच, केजरीवाल की कानूनी टीम और समर्थक मामले की त्वरित और सकारात्मक सुलझाव की उम्मीद कर रहे हैं, जो उनके राजनीतिक भविष्य के लिए निर्णायक हो सकता है। जैसे ही इन मामलों पर अदालत का फैसला आएगा, यह दिल्ली की राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है, और सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई पर लगी हुई हैं।
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