संसद में हंगामे के बीच शिवराज चौहान का आरोप, बंगाल में मनरेगा का दुरुपयोग

KNEWS DESK-  संसद के शीतकालीन सत्र का पहला हफ्ता कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। हालांकि, मंगलवार को कार्यवाही हुई, जिसमें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में पश्चिम बंगाल में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी’ (मनरेगा) योजना के तहत बजट आवंटन के दुरुपयोग का आरोप लगाया।

शिवराज चौहान ने कहा कि पश्चिम बंगाल में इस योजना का दुरुपयोग किया गया है और अपात्र लोगों को इसका लाभ दिया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कुछ विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए योजनाओं का गलत उपयोग किया और पात्र लोगों को इससे वंचित किया।

कल्याण बनर्जी और शिवराज चौहान के बीच तीखी बहस

इस दौरान पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर से सांसद कल्याण बनर्जी ने मनरेगा योजना पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि 2022-23 में पश्चिम बंगाल को केंद्र से कोई राशि नहीं मिली। उन्होंने केंद्रीय मंत्री शिवराज चौहान से सवाल किया कि यदि राज्य में कोई गैरकानूनी काम हुआ था, तो केंद्र ने इसके खिलाफ क्यों कोई कार्रवाई नहीं की।

इस सवाल का जवाब देते हुए शिवराज चौहान ने कहा कि मनरेगा की राशि निश्चित उद्देश्यों के लिए होती है और अगर यह राशि उन उद्देश्यों में खर्च नहीं हो रही है, तो इसे रोकने का अधिकार केंद्र सरकार को है। उन्होंने कहा, “बंगाल में पात्र लोगों को अपात्र बना दिया गया और अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाया गया। यह साबित हो चुका है कि बड़े कामों को छोटा करके कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाया गया।”

पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप

शिवराज चौहान ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम बदलकर अपनी सरकार का नाम रखने का अपराध किया है। इसके अलावा, इस योजना के तहत भी अपात्र लोगों को लाभ दिया गया और पात्र लोगों को छोड़ दिया गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह से योजनाओं का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा और केंद्र सरकार सुनिश्चित करेगी कि राशि का सही उपयोग हो।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के मंत्र “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” का हवाला देते हुए कहा कि सरकार भ्रष्टाचार और दुरुपयोग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।

संसद में जारी हंगामा और आरोप-प्रत्यारोप

बंगाल में मनरेगा योजना के दुरुपयोग पर केंद्र सरकार और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस जारी है। यह घटना संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उठाए गए विभिन्न मुद्दों के बीच आई है, जिसमें अदाणी समूह पर आरोप, संभल हिंसा और अन्य मुद्दों पर भी हंगामा हुआ। अब यह देखना होगा कि इस विवाद पर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या बंगाल सरकार इस आरोप का जवाब देती है। यह घटनाक्रम यह भी दर्शाता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच योजना के कार्यान्वयन और लाभ वितरण को लेकर गंभीर मतभेद हो सकते हैं, जिनका असर राज्य की योजनाओं पर पड़ता है।

ये भी पढ़ें-   बसपा सुप्रीमो मायावती ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर जताई चिंता, सरकार से की उचित कदम उठाने की अपील

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.