KNEWS DESK- महाराष्ट्र की राजनीति में एक अहम बदलाव की ओर इशारा करते हुए राकांपा (एनसीपी) और एसपी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि वे अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह बयान शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव से पहले दिया, जिससे उनके राजनीति में सक्रिय भविष्य को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं।
‘कहीं तो रुकना पड़ेगा’ – शरद पवार
पवार ने अपने बयान में कहा, “कहीं तो रुकना पड़ेगा।” उन्होंने साफ किया कि अब वे चुनावी राजनीति से दूर रहेंगे और आने वाली पीढ़ी को नेतृत्व का मौका देंगे। उनका कहना था, “मैं कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहता। अब मुझे चुनाव को लेकर रुकना चाहिए और नई पीढ़ी को आगे आना चाहिए।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज नेता शरद पवार ने यह भी कहा कि उन्होंने अब तक 14 चुनावों में भाग लिया है और उन्हें सत्ता में कोई रुचि नहीं है। उनका लक्ष्य सिर्फ समाज के लिए काम करना है, न कि सत्ता हासिल करना।
राज्यसभा का मुद्दा
शरद पवार ने बारामती में अपने एक दौरे के दौरान यह बयान दिया। पवार ने कहा कि वे फिलहाल राज्यसभा के सदस्य हैं, जहां उनका कार्यकाल अभी डेढ़ साल और बाकी है। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकसभा चुनाव में वे कभी भी नहीं उतरेंगे। उनका यह भी कहना था, “मेरे पास अभी भी डेढ़ साल का वक्त बाकी है। डेढ़ साल बाद मुझे यह सोचना होगा कि क्या मैं राज्यसभा का चुनाव लड़ूं या नहीं, लेकिन लोकसभा तो मैं कभी नहीं लड़ूंगा।”
चुनावी राजनीति से रिटायरमेंट का संकेत
पवार के इस बयान को उनके चुनावी राजनीति से रिटायरमेंट के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। शरद पवार, जिनकी उम्र अब 83 वर्ष हो चुकी है, ने पहले भी राजनीति में अपनी भूमिका पर विचार व्यक्त किया था, लेकिन इस बार उनके बयान में यह स्पष्टता है कि वे अब चुनावी राजनीति से बाहर रहकर केवल समाजसेवा और पार्टी के लिए मार्गदर्शन देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
‘नई पीढ़ी को आना चाहिए’ – शरद पवार
अपने बयान में शरद पवार ने कहा कि अब यह समय है जब उन्हें राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने से हटकर नई पीढ़ी को नेतृत्व का अवसर देना चाहिए। उन्होंने कहा, “अब तक 14 चुनाव हो चुके हैं। आपने मुझे हर बार निर्वाचित कर दिया, लेकिन मुझे लगता है कि कहीं तो थमना चाहिए। अब मैं इस बात पर काम कर रहा हूं कि नई पीढ़ी को अब राजनीति में आना चाहिए और नेतृत्व संभालना चाहिए।”
महाराष्ट्र राजनीति पर प्रभाव
शरद पवार का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ हो सकता है, जहां उनकी पार्टी एनसीपी को आगामी विधानसभा चुनावों में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। पवार के इस बयान से यह भी संकेत मिलता है कि वे पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन पर विचार कर रहे हैं। उनकी भूमिका अब पार्टी के मार्गदर्शक के रूप में ही सिमट सकती है, जहां वे नई पीढ़ी को प्रशिक्षित कर राजनीति की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।
शरद पवार के इस बयान ने न केवल उनके समर्थकों को चौंकाया है, बल्कि विपक्षी दलों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि महाराष्ट्र की राजनीति में पवार के बिना उनका सामना कैसे किया जाएगा। आगामी विधानसभा चुनावों में पवार की रणनीति और पार्टी का नेतृत्व किस दिशा में जाएगा, यह देखने लायक होगा। पवार का यह कदम महाराष्ट्र और भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, क्योंकि उन्होंने अब तक अपनी पार्टी को मजबूत बनाए रखने और राज्य में अपने प्रभाव का भरपूर इस्तेमाल किया है। अब यह सवाल उठ रहा है कि पवार के नेतृत्व से बाहर आने के बाद एनसीपी का भविष्य क्या होगा और कौन पार्टी की बागडोर संभालेगा।
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