सपा ने रायबरेली और अमेठी सीट में भी उम्मीदवार को उतराने के दिए संकेत… अखिलेश ने दी जानकारी

लखनऊ, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता शिकायत करते हैं कि अमेठी व रायबरेली में कांग्रेस के लोग वोट तो ले लेते हैं पर कोई मुश्किल होने पर उनके साथ खड़े नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि हम इन सीटों पर भी उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं।

सपा ने अब उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी से भी लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं. कोलकाता में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दोहराया कि लोकसभा में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रायबरेली और अमेठी के कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि कांग्रेसी उनका वोट लेते हैं लेकिन जब उन पर किसी तरह की आपदा आती है या उनका उत्पीड़न होता है तो कांग्रेसी साथ नहीं देते हैं. सपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार से कोलकाता में शुरू हुई. पहले दिन की बैठक में यूपी की राजनीति, आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर चर्चा हुई. बैठक में पार्टी नेताओं को धार्मिक पुस्तकों और धर्म से जुड़े संतों पर टिप्पणी से बचने और अति पिछड़ों को साधने पर जोर दिया गया.

जातीय जनगणना का मुद्दा सबसे ऊफर रहेगा

सपा आगामी दिनों में भी जातीय जनगणना मुद्दा को मुद्दा बनाएगी. पूरी पार्टी इस पर एक मत में दिखी. नेताओं का मानना था कि इसे मुद्दा बनाया जाए और लोगों तक लेकर जाया जाए. पार्टी के नेताओं ने शनिवार को कहा कि पार्टी के संगठन को और मजबूत किया जाए. संगठन जितना मजबूत होगा, पार्टी उतनी मजबूत होगी. बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए जाएंगे.

 

युवाओं को भी पार्टी से जोड़ने पर हुई चर्चा

बैठक में युवाओं को पार्टी के साथ कैसे जोड़ा जाए, इस पर भी मंथन हुआ. पार्टी के संगठन को मजबूत करने पर चर्चा हुई. जानकारी के मुताबिक बैठक में ईडी और सीबीआई की छापेमारी और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा भी उठा. उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव कल ही सार्वजनिक रूप से निंदा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि वहां के स्थानीय नेताओं के साथ बातचीत की जाएगी और लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने पर विचार किया जाएगा. मालूम हो कि इन दोनों सीटों पर अभी तक समाजवादी पार्टी उम्मीदवार नहीं उतारती रही है. इसके बदले कांग्रेस भी मैनपुरी में उम्मीदवार नहीं उतारती थी. अब सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं.

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