UP में दो लाख 45 हजार कर्मचारियों का रोका गया वेतन, संपत्ति विवरण न देने पर राज्य सरकार ने उठाया कदम

KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने दो लाख 45 हजार कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है। यह कार्रवाई उन कर्मचारियों के खिलाफ की गई है जिन्होंने अपनी संपत्ति का विवरण निर्धारित समय सीमा के भीतर नहीं प्रस्तुत किया। राज्य सरकार ने पहले ही सभी राजकीय कर्मचारियों को संपत्ति का खुलासा करने का आदेश दिया था, लेकिन काफी संख्या में कर्मचारियों ने इस आदेश का पालन नहीं किया।

संपत्ति विवरण न देने पर वेतन रोक

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के आदेश पर 31 अगस्त तक अपनी संपत्ति का विवरण नहीं देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया। राज्य सरकार ने 1 सितंबर को कर्मचारियों का वेतन जारी किया, लेकिन इस प्रक्रिया में केवल 6 लाख 2 हजार 75 कर्मचारियों की सैलरी ही जारी की गई, जबकि दो लाख 45 हजार कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया।

संपत्ति विवरण की अंतिम तिथि और शासनादेश

17 अगस्त को जारी शासनादेश में मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया था कि 31 अगस्त तक संपत्ति का विवरण न देने वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जाएगी। हालांकि, 31 अगस्त की निर्धारित तिथि तक महज 71 प्रतिशत कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति का खुलासा किया। शेष 29 प्रतिशत कर्मचारियों में से कई ने अभी तक अपनी संपत्ति का विवरण नहीं दिया, जिससे उनकी सैलरी पर रोक लगा दी गई है।

विभागों में बचे कर्मचारियों की स्थिति

इस श्रेणी में शामिल प्रमुख विभागों में शिक्षा, टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग शामिल हैं। विशेषकर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक है। इसके अतिरिक्त, पुलिसकर्मियों की भी एक बड़ी संख्या इस सूची में शामिल है।

पुलिस विभाग को अतिरिक्त समय की मांग

गृह विभाग ने बताया कि पुलिसकर्मियों की व्यस्तता के कारण, विशेष रूप से त्योहारों और पुलिस भर्ती परीक्षा के कारण, कई पुलिसकर्मियों ने अपनी संपत्ति का विवरण अपडेट नहीं किया। विभागीय अधिकारियों ने इस संबंध में शासन को सूचित किया है और पुलिसकर्मियों को संपत्ति विवरण प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग की है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया है। संपत्ति विवरण न देने वाले कर्मचारियों के लिए वेतन रोकने की नीति से अन्य कर्मचारियों को भी नियमों का पालन करने की प्रेरणा मिलेगी। इसके साथ ही, यह स्थिति यह भी दर्शाती है कि राज्य सरकार किस प्रकार अपनी नीतियों को लागू करने में गंभीर है और किसी भी प्रकार की रियायत के लिए तैयार नहीं है। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि नियमों और आदेशों का पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिससे सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित किया जा सके।

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