KNEWS DESK- राजस्थान सरकार ने कोचिंग स्टूडेंट्स में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए नया कानून लाने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट में यह जानकारी दी कि वह विधानसभा में आत्महत्या रोकने से संबंधित एक विधेयक पेश करेगी, जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगा और कोचिंग संस्थानों के संचालन को अधिक जिम्मेदार बनाएगा।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब हाईकोर्ट ने राज्य में कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं के मामलों पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया और इस पर याचिका दायर की। अदालत ने सरकार से यह सवाल किया था कि वह इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है। सरकार ने जवाब में बताया कि इस संबंध में वह नया कानून लाने जा रही है, जो कोचिंग संस्थानों के संचालन से जुड़े नियमों को सख्त करेगा और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रभावी उपाय करेगा।
हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या नए कानून के बनने से पहले केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत कोचिंग सेंटर्स के पंजीकरण की प्रक्रिया लागू करवाई जा सकती है? केंद्र सरकार की गाइडलाइन में कोचिंग संस्थानों के लिए कई मानक और निर्देश तय किए गए हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों के हित में सुरक्षित और जिम्मेदार वातावरण सुनिश्चित करना है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब तलब किया।
कोचिंग संस्थानों की ओर से वरिष्ठ वकील ने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन की बजाय एक सशक्त और प्रभावी राज्य कानून लाना अधिक जरूरी है। हालांकि, उन्होंने कोचिंग सेंटर्स के पंजीकरण पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन में सजा और जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन राज्य में नए कानून के लागू होने तक इन प्रावधानों को लागू किया जा सकता है, ताकि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जा सके।
राज्य में कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने समाज और सरकार दोनों को गहरे चिंतन में डाल दिया है। यह मुद्दा न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और छात्रों की सामाजिक-भावनात्मक सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में, राजस्थान सरकार का यह कदम छात्रों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अधिकारियों को त्वरित और समन्वित प्रयास करने होंगे।
अदालत ने सरकार से इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है। इस दौरान यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्या केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लागू करने के उपाय किए जा सकते हैं, और राज्य सरकार के प्रस्तावित कानून का क्या रूप होगा।
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