KNEWS DESK- संविधान दिवस के मौके पर कांग्रेस पार्टी द्वारा तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संबोधन दिया। हालांकि, जैसे ही राहुल गांधी ने बोलना शुरू किया, उनका माइक अचानक बंद हो गया, जिससे कार्यक्रम में थोड़ी अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। माइक की समस्या हल होने के बाद राहुल गांधी ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह सब एक साधारण प्रक्रिया है, लेकिन इस बीच माइक बंद होने के घटनाक्रम ने कुछ देर के लिए ध्यान खींचा।
राहुल गांधी का माइक बंद होने पर टिप्पणी
माइक चालू होने के बाद राहुल गांधी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “इस देश में जब भी कोई दलितों, पिछड़ों या वंचित वर्ग के अधिकारों की बात करता है, उसका माइक ऐसे ही बंद कर दिया जाता है।” यह बयान राहुल गांधी ने देश में दलितों और पिछड़ों के अधिकारों को लेकर सरकार और राजनीति पर तंज करते हुए दिया। उनका कहना था कि यह एक सांकेतिक घटना है, जो देश में नफरत और भेदभाव के बढ़ते माहौल की ओर इशारा करती है।
जातीय जनगणना की मांग पर जोर
अपने संबोधन में राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग को फिर से जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में आज भी किसी भी प्रमुख उद्योगपति की सूची में दलित, पिछड़ा या आदिवासी वर्ग का कोई व्यक्ति शामिल नहीं है, जो कि समाज में गहरे असमानता को दर्शाता है। राहुल गांधी ने यह सवाल उठाया कि क्या यह समय नहीं है कि सरकार इस असमानता को पहचानकर जातीय जनगणना करे, ताकि वंचित वर्गों की वास्तविक स्थिति का पता चल सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके।
कांग्रेस पार्टी के नेताओं का समर्थन
राहुल गांधी के इस बयान के दौरान पार्टी के अन्य नेताओं ने उनका समर्थन किया और माइक बंद होने की घटना पर नारेबाजी की। यह घटना कांग्रेस पार्टी के अंदर और बाहर कई सवालों को जन्म देती है, क्योंकि राहुल गांधी पहले भी संसद में माइक बंद होने की शिकायत कर चुके हैं। इस बार खुद उनकी ही पार्टी के कार्यक्रम में माइक बंद होना एक प्रतीकात्मक स्थिति बन गई, जो एक बार फिर से दलितों और पिछड़ों के मुद्दे को प्रमुखता से सामने लाती है।
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