राहुल गांधी का आरोप, ‘नई नस्ल के एकाधिकारवादियों ने लिया ईस्ट इंडिया कंपनी का स्थान’

KNEWS DESK-  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि भारतीय समाज में आज जिस प्रकार का एकाधिकारवाद प्रचलित है, वह मूल ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के समान है। उनका कहना है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश को गुलाम बनाने के लिए जो तंत्र विकसित किया था, आज वही तंत्र नए रूप में एकाधिकारवादी सिंडिकेट द्वारा संचालित हो रहा है। राहुल गांधी ने यह बयान हाल ही में एक मीडिया संस्थान के लिए लिखे लेख में दिया और इसे सोशल मीडिया पर भी साझा किया।

ईस्ट इंडिया कंपनी का तंत्र और उसकी समकालीनता

राहुल गांधी ने अपने लेख में कहा कि “ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को अपनी व्यापारिक ताकत से नहीं, बल्कि यहां के प्रशासन, बैंकिंग और सूचना तंत्र पर कब्जा करके गुलाम बनाया।” उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश के राजाओं और नवाबों के साथ मिलकर रिश्वत, भय और दबाव के जरिए देश पर नियंत्रण किया और भारतीय संसाधनों का शोषण किया।

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि हम किसी बाहरी देश से अपनी स्वतंत्रता नहीं खोए थे, बल्कि एक विशेष तरह के एकाधिकारवादी निगम ने हमारे देश को जीत लिया और फिर दमनकारी शासन प्रणाली स्थापित की। उनका मानना है कि अब वही एकाधिकारवाद की मानसिकता नए रूप में उभर रही है, हालांकि अब उसका रूप बदल चुका है।

राहुल गांधी ने आगे कहा, “मूल ईस्ट इंडिया कंपनी तो खत्म हो गई है, लेकिन अब उसकी जगह एकाधिकारवादियों की नई नस्ल ने ले ली है, जो भारत के संसाधनों और संस्थानों पर कब्जा जमाने में लगी हुई है।” उनका आरोप है कि ये नए एकाधिकारवादी समूह बहुत अधिक संपत्ति और ताकत अर्जित कर रहे हैं, और इसका परिणाम भारतीय समाज में बढ़ती असमानता के रूप में सामने आ रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि आजकल भारतीय संस्थान, जो पहले जनता के होते थे, अब एकाधिकारवादियों के इशारे पर काम कर रहे हैं। राहुल गांधी ने यह बताया कि इसके कारण लाखों छोटे और मंझले व्यवसाय बंद हो गए हैं और देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर घटते जा रहे हैं। राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि यह मौजूदा स्थिति देश की समृद्धि के लिए खतरा पैदा कर रही है। उन्होंने कहा, “भारत अब पहले जैसा नहीं है, जहां सभी के लिए समान अवसर थे। अब संपत्ति और अवसर केवल कुछ मुट्ठी भर लोगों के पास सिमट कर रह गए हैं, जबकि आम आदमी के लिए संघर्ष और असमानता बढ़ गई है।” उनका कहना था कि एकाधिकारवाद के कारण समग्र समाज में विभाजन हो रहा है और यह देश की प्रगति के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

कांग्रेस नेता ने इसके बाद सवाल उठाया कि “हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है? क्या हमें निष्पक्ष खेल, नौकरियां, योग्यता और नवाचार चाहिए या फिर एक कुलीनतंत्र, जो कुछ लोगों के लिए सभी अवसरों को संकुचित कर दे?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह एक गंभीर सवाल है जो हम सभी को खुद से पूछने की जरूरत है।

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