KNEWS DESK- हर साल 29 अगस्त को मनाया जाने वाला नेशनल स्पोर्ट्स डे इस बार एक खास घटना के साथ याद किया जाएगा। इस मौके पर राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की एक अनूठी अनुभव साझा किया है। उन्होंने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वे जिउ-जित्सु मार्शल आर्ट्स की प्रैक्टिस करते नजर आ रहे हैं। वीडियो में राहुल गांधी ने बताया कि कैसे भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वे रोजाना जिउ-जित्सु का अभ्यास करते थे और इसमें कई स्थानीय लोग भी शामिल होते थे।
भारत जोड़ो यात्रा में जिउ-जित्सु की महत्वपूर्ण भूमिका
राहुल गांधी ने वीडियो के कैप्शन में लिखा, “भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, जब हमने हजारों किलोमीटर की यात्रा की, तो हमारे कैंपसाइट पर हमारा रूटीन था कि हम हर शाम जिउ-जित्सु की प्रैक्टिस करते थे। यह एक फिटनेस एक्टिविटी से शुरू हुआ, जो जल्दी ही एक कम्युनिटी एक्टिविटी में बदल गई। हमारे पास स्थानीय युवाओं और मार्शल आर्ट छात्रों को शामिल करने का अवसर मिला।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा गोल इन युवाओं को ‘जेंटल आर्ट’ की सुंदरता से परिचित कराना था। ध्यान, जिउ-जित्सु, ऐकिडो, और अहिंसक संघर्ष समाधान तकनीकों का मेल हमारे उद्देश्य को पूरा करता है—हिंसा को सज्जनता में बदलना और समाज को अधिक दयालु और सुरक्षित बनाना।”
भारत डोजो यात्रा: एक नई पहल
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में यह भी उल्लेख किया कि वे ‘भारत डोजो यात्रा’ शुरू करने वाले हैं। ‘डोजो’ एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ होता है मार्शल आर्ट का ट्रेनिंग हॉल या स्कूल। राहुल गांधी का यह नया कदम, जो सियासत में ‘मार्शल आर्ट’ के तत्वों को शामिल करने की ओर इशारा कर सकता है, उनका उद्देश्य स्थानीय युवाओं और समाज को मार्शल आर्ट की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना है।
भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव
राहुल गांधी ने 2022 में भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने लगभग 150 दिन तक पैदल यात्रा की थी। यात्रा ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक और मणिपुर से गुजरात तक देशभर में एक नई ऊर्जा का संचार किया था। हालांकि इस यात्रा का विधानसभा चुनावों में सीधे तौर पर उतना लाभ नहीं मिला, लेकिन लोकसभा चुनाव में इसका प्रभाव साफ तौर पर देखा गया।
अंतिम विचार
राहुल गांधी का ‘भारत डोजो यात्रा’ की शुरुआत का ऐलान इस बात का संकेत है कि वे समाज को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। यह पहल सिर्फ मार्शल आर्ट की शिक्षा ही नहीं बल्कि हिंसा के खिलाफ एक सकारात्मक कदम भी है। आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पहल का कितना व्यापक प्रभाव पड़ता है और राहुल गांधी के इस नए प्रयास को कितनी सफलता मिलती है।
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