राजस्थान में 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के फैसले पर सियासी हंगामा, BJP नेता देवजी पटेल ने उठाई सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग

KNEWS DESK-  राजस्थान में भजनलाल सरकार द्वारा 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के फैसले ने प्रदेश में सियासी हलचल मचा दी है। इस निर्णय के खिलाफ विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और यह मुद्दा अब राज्य की राजनीति में गरमा गया है। बीजेपी के पूर्व सांसद देवजी पटेल ने इस फैसले को लेकर एक बड़ा बयान दिया है और सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग की है।

देवजी पटेल ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
पूर्व सांसद देवजी पटेल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर कहा कि इस फैसले से लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ेगा, और इस कारण इसकी पुनः समीक्षा की जानी चाहिए। पटेल का कहना है कि सांचौर जिला, जोकि अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है, उसका महत्व देखते हुए इसे यथावत रखा जाना चाहिए। उनके पत्र की ना केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है, और यह मुद्दा बीजेपी के भीतर भी तूल पकड़ता नजर आ रहा है।

बीजेपी कार्यकर्ताओं का विरोध
राजस्थान सरकार के इस फैसले के विरोध में बीजेपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी सामने आया है। कई स्थानों पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया है और इस फैसले को जनविरोधी बताया है। खासकर, सांचौर क्षेत्र के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। इसके बाद, बीजेपी कार्यकर्ता के इस्तीफे की खबरें भी सामने आईं हैं, जो सरकार के निर्णय के खिलाफ अपनी असहमति का इज़हार कर रहे हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी के भीतर इस मुद्दे को लेकर असंतोष सामने आया है। बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के बाद प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उनकी मांग है कि सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और स्थानीय लोगों की समस्याओं को समझते हुए जिले और संभागों को खत्म करने का निर्णय वापस लेना चाहिए।

सरकार का रुख और आगामी योजना
हालांकि, राजस्थान सरकार की ओर से इस फैसले के समर्थन में बयान दिए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक सुधार के तहत उठाया गया है, जो जनता के फायदे के लिए है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का कहना है कि यह फैसला प्रदेश के विकास के लिए जरूरी था, और यह प्रशासनिक स्तर पर सुधार लाएगा।

अब देखना यह है कि यह विरोध कितना तेज होता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। यदि बीजेपी और स्थानीय जनप्रतिनिधि अपने विरोध को और बढ़ाते हैं, तो यह मुद्दा आगामी चुनावों में भी एक अहम मुद्दा बन सकता है।

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