पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना को सौंपेंगे तीन महाबली युद्धपोत, चीन और पाकिस्तान के लिए बढ़ी चिंता

KNEWS DESK – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना को तीन अत्याधुनिक युद्धपोत और पनडुब्बियों को समर्पित करेंगे, जो देश की समुद्री ताकत में और इजाफा करेंगे। ये तीन महाबली युद्धपोतों और पनडुब्बियों के रूप में आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर, भारतीय नौसेना की रक्षा क्षमता को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा देंगे। इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के साथ भारत का समुद्री सामर्थ्य कई गुना बढ़ जाएगा और इसकी क्षेत्रीय ताकत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए गंभीर चुनौती बन जाएगी।

युद्धपोत दुश्मनों की निगरानी से बचने में सक्षम

आईएनएस सूरत, भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15B के तहत निर्मित चौथा और अंतिम स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। अत्याधुनिक रडार प्रणाली और स्टेल्थ फीचर्स से लैस, यह युद्धपोत दुश्मनों की निगरानी से बचने में सक्षम है। सतह-से-सतह और सतह-से-हवा मिसाइलों से लैस, यह युद्धपोत चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए खतरे की घंटी है। इसके ब्रिज लेआउट और मास्ट डिजाइन में ऐसे परिवर्तन किए गए हैं जिससे यह रडार पर कम दिखाई देता है, और हेलिकॉप्टर संचालन के लिए भी यह पोत उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है।

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भारतीय नौसेना की एक नई शक्ति

आईएनएस नीलगिरी, जो प्रोजेक्ट 17A के तहत एक स्टेल्थ फ्रिगेट है, भारतीय नौसेना की एक नई शक्ति के रूप में उभरेगा। पुराने आईएनएस नीलगिरी का आधुनिक संस्करण समुद्र में दुश्मनों के लिए बड़ी चुनौती होगा। इसके स्टेल्थ डिजाइन और अत्याधुनिक तकनीकी प्रणालियों के कारण इसे दुश्मन के रडार से ट्रैक करना बेहद कठिन होगा। खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए, यह युद्धपोत भारत की समुद्री उपस्थिति को और मजबूत करेगा और क्षेत्र में भारतीय शक्ति को प्रमाणित करेगा।

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भारत की समुद्री रणनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका

आईएनएस वाघशीर, एक स्वदेशी डिजाइन की गई डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है, जो समुद्र के अंदर दुश्मनों के लिए एक अडिग और खतरनाक खतरा बनकर उभरेगी। यह पनडुब्बी विशेष रूप से इसकी चुपचाप संचालन क्षमता के लिए जानी जाती है, जिससे दुश्मन इसे आसानी से ट्रैक नहीं कर सकते। वायर-गाइडेड टॉरपीडो और एंटी-शिप मिसाइलों से लैस, यह पनडुब्बी भारत की समुद्री रणनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, इसमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक की संभावना है, जो इसे लंबी अवधि तक पानी के नीचे संचालन की क्षमता प्रदान करती है।

चीन और पाकिस्तान के लिए बढ़ती चिंता

इन तीन अत्याधुनिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के भारतीय नौसेना में शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत में जबरदस्त वृद्धि होगी। चीन और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए यह बढ़ी हुई शक्ति गंभीर चिंता का विषय बन गई है। चीन, जो हिंद महासागर में अपनी बढ़ती गतिविधियों के कारण चिंतित है, अब भारतीय नौसेना की उन्नत तकनीकों और रणनीतिक क्षमताओं से और भी अधिक घबराएगा। वहीं, पाकिस्तान की नौसेना, जो अपनी क्षमता में भारत से कहीं पीछे है, इन महाबलियों के सामने निस्तेज नजर आएगी।

भारत के नए युद्धपोत और पनडुब्बियां न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेंगी, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को भी सुनिश्चित करेंगी। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह परियोजना के बीच भारत की समुद्री ताकत एक मजबूत चुनौती बनकर उभरेगी।

समग्र रणनीति में बदलाव

इन नई और अत्याधुनिक तकनीकों के साथ, भारतीय नौसेना समुद्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही है। यह न केवल समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की वैश्विक शक्ति को भी प्रमाणित करता है। इन युद्धपोतों और पनडुब्बियों के तैनाती के साथ, भारत अपने दुश्मनों को घेरने में सक्षम होगा और उनकी नापाक योजनाओं को नाकाम करने में सफल होगा।

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